न्यूज़ डेस्क
गजब की चाल है। चंडीगढ़ मेयर चुनाव में बीजेपी के ब्वोत कम होने के बाद भी उसकी जीत हो गई। बीजेपी के पास मात्र 15 वोट ही थे जबकि कांग्रेस और आप को मिलकर 20 वोट थे। एक वोट निर्दलीय का भी था। लेकिन मजे की बात तो यह है कि बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में तो 16 वोट पड़े लेकिन विपक्षी 12 वोट ही मान्य हुए जबकि 8 वोट अमान्य हो गए। अब यह सब कैसे किया गया इसको लेकर बवाल मचा हुआ है। बीजेपी की जीत घोषित हो गई है।
जो खेल हुए हिन्चं उसके मुताबिक डीगढ़ में शहरी निकाय चुनाव में मेयर पद पर भाजपा का कब्जा बरकार है। पार्टी के उम्मीदवार मनोज सोनकर को मेयर घोषित कर दिया गया है। आप और कांग्रेस के साझा उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा है। मनोज सोनकर ने इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार कुलदीप टीटा को 4 वोटों से हरा दिया। पीठासीन अधिकारी ने आठ वोट अमान्य करार दिए। इस पर आप और कांग्रेस ने पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह पर कई वोटों के साथ छेड़छाड़ के आरोप लगाए। कांग्रेस और आप पार्षदों का आरोप है कि अनिल मसीह वीडियो में कई वोटों पर पेन चलाते हुए नजर आए हैं। वीडियो में भी इसके सबूत हैं।
बता दें कि 18 जनवरी को नगर निगम के मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए मतदान होने थे लेकिन इसे ऐन वक्त पर इन्हें स्थगित कर दिया गया था। उस वक्त कहा गया कि पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह की तबीयत अचानक खराब हो गई। इस वजह से चुनाव को स्थगित कर दिया गया।
इस चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने साथ मिलकर उम्मीदवार उतारे थे। मेयर पद के उम्मीदवार आप से थे तो सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पद के उम्मीदवार कांग्रेस से पहले चंडीगढ़ में नगर निगम के मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए 13 जनवरी को सुबह 11 बजे से शाम पांच बजे तक नामांकन दाखिल किया था। 18 जनवरी को चुनाव होने थे। सुबह 11 बजे से चंडीगढ़ नगर निगम के पार्षदों को मेयर पद के उम्मीदवारों के लिए वोट डालना था। इसके बाद सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए मतदान होना था, लेकिन सुबह पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह की तबीयत खराब होने की खबर आई। इसके चलते अगली सूचना तक स्थगित कर दिया गया।
चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 पार्षद हैं। वहीं, चंडीगढ़ से भाजपा सांसद किरण खेर भी इन चुनावों में वोट डालने के लिए पात्र थीं। इस तरह से कुल 36 मतदाताओं ने इस चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग किया। सदन में भाजपा के 14 पार्षद, आप के 13 तो कांग्रेस के सात पार्षद हैं। हरदीप सिंह अकाली दल के एक मात्र पार्षद हैं। वहीं, सांसद किरण खेर भाजपा से हैं।
इस तरह से संख्या बल के लिहाज से भाजपा के पक्ष में 15 और इंडिया गठबंध के पक्ष में 20 वोट थे। वहीं, अकाली पार्षद ने दावा किया था कि अगर मेयर चुनाव में नोटा का विकल्प नहीं होगा तो वह बहिष्कार करेंगे। हालांकि, उन्होंने भी वोट डाला। अकाली पार्षद का वोट किसके पक्ष में पड़ा इसका खुलासा उन्होंने नहीं किया। भाजपा को अपने 15 वोट के अलावा एक अतरिक्त वोट भी मिला है। कयास लगाए जा रहे हैं कि यह वोट अकाली पार्षद हरदीप सिंह का हो सकता है।
वहीं, इंडिया गठबंधन के 20 पार्षदों में से सिर्फ 12 के वोट मान्य करार दिए गए। जबकि, आठ के वोट अमान्य हो गए। इस तरह से संख्या बल में बहुमत से कम होने के बाद भी भाजपा ने मेयर की कुर्सी पर कब्जा कर लिया।
माना जा रहा था कि आप और कांग्रेस में गठबंधन से मेयर चुनाव के सारे समीकरण बदलेंगे। दोनों में गठबंधन होने पर आप और कांग्रेस के 20 वोट थे, जबकि मेयर बनाने के लिए जादुई आंकड़ा 19 का है। ऐसे में पिछले कई वर्षों से मेयर की कुर्सी पर बैठी भाजपा की बादशाहत खतरे में मानी जा रहा थी। इसके बाद भी भाजपा ने चुनाव में बाजी पलट दी।
आम आदमी पार्टी ने इस चुनाव में पीठासीन अधिकारी पर वोटों से छेड़छाड़ का आरोप लगया है। इस बीच, आप पार्षद प्रेमलता ने कहा कि उनकी पार्टी हाईकोर्ट जाएगी। भाजपा ने धोखे से जीत हासिल की है। आठ वोट अवैध कैसे हो सकते हैं।