अखिलेश अखिल
लम्बे समय से आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी और बीजेपी के बीच खूब गलबहियां चल रही थी लेकिन अब जैसे -जैसे लोकसभा और आंध्र प्रदेश के विधान सभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं ,बीजेपी की तल्खी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है। अब बीजेपी ने जगन मोहन रेड्डी पर हमला करना शुरू कर दिया है। पिछले दिनों आंध्रा की यात्रा पर गए गृह मंत्री अमित शाह ने आंध्रा सरकार पर जमकर हमला बोला और कहा कि जगन मोहन रेड्डी की सरकार ने प्रदेश में कुछ भी नहीं किया है। यह सरकार ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार में लिप्त है। शाह ने कहा कि दिल्ली की मोदी सरकार जो भी पैसा यहाँ भेजती है जगन के लोग लूट कर खा जाते हैं। शाह ने यह भी कहा कि जगन खुद को किसानो के नेता कहते हैं लेकिन उन्हें शर्म आणि चाहिए कि उनके राज्य में सबसे ज्यादा आत्महत्या किसान ही कर रहे हैं।
बता दें कि अभी तक जगन का पूरा सद्भाव केंद्र सरकार के प्रति था और भाजपा भी सद्भाव दिखाती थी। भाजपा की प्रदेश कमेटी के नेता कुछ हमले करते थे लेकिन राष्ट्रीय नेता उनके बारे में कुछ भी निगेटिव नहीं बोलते थे। वे भी हर मुद्दे पर केंद्र में भाजपा सरकार का साथ देते थे। लेकिन जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है और राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी टीडीपी के साथ भाजपा के तालमेल की बातें आगे बढ़ रही हैं वैसे वैसे भाजपा का नजरिया बदल रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को चेन्नई के बाद आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में एक सभा को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने जगन मोहन की सरकार पर जमकर हमला बोला।
अमित शाह के हमले के बाद जगन की पार्टी के नेता और सांसद विजयसाई रेड्डी ने पलटवार करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा किया था लेकिन वह वादा पूरा नहीं किया। दोनों पार्टियों में यह आरोप प्रत्यारोप इसलिए शुरू हुआ है क्योंकि अगले साल मई में लोकसभा के साथ ही विधानसभा का चुनाव है और उससे पहले भाजपा अपनी पुरानी सहयोगी टीडीपी से तालमेल करने जा रही है। कुछ दिन पहले टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू ने दिल्ली में अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात की थी।
ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि क्या आंध्रा के सियासी समीकरण बदल रहे हैं ? जानकार कह रहे कि जो हालत आंध्रा में है और जिस तरह से बीजेपी की नजदीकियां टीडीपी के साथ बढ़ रही है उससे साफ़ हो गया है कि आँध्रप्रदेश में बीजेपी और टीडीपी मिलकर चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में जगन के पास यही विकल्प है कि वे विपक्षी एकता के साथ खड़े हो जाए या फिर अकेले चुनाव लड़ने को तैयार रहे। जगन की दिक्कत यही है कि किसी भी सूरत में कांग्रेस नहीं चाहते। लेकिन जिस तरह के समीकरण बन रहे हैं उससे तो यही लगता है देर सबेर जगन को कोई बड़ा फैसला लेना होगा।
आंध्रा में टूट रहा है जगन रेड्डी और बीजेपी का सद्भाव,अमित शाह ने लगाए जगन मोहन पर भ्रष्टाचार के आरोप
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