पटना (बीरेंद्र कुमार):बिहार में जहरीली शराब कांड के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से जारी नोटिस और बिहार में टीम भेजकर जांच की बात कहने पर कांग्रेस ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की गतिविधियों की निष्पक्षता पर सवाल उठाया है। कांग्रेस के एमएलसी प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा है कि छपरा जहरीली शराब कांड में जो मौतें हुई हैं, उसकी जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम बिहार आ रही हैं क्योंकि आयोग को केंद्र सरकार ने कहा है कि वह बिहार जाए और जांच करे।
कांग्रेस एमएलसी प्रेमचंद्र मिश्रा ने मानवाधिका आयोग पर कसा तंज
तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि हमें किसी भी जांच एजेंसी की जांच से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का काम है मानवाधिकार के उल्लंघन की जांच करना। क्या छपरा में जहरीली शराब पीने से हुई मौत मानवाधिकार का उल्लंघन है? आखिर आयोग की टीम यहां आकर किस बात की जांच करेगी ?
और कई राज्यों में हुई है जहरीली शराब से मौत
प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि बिहार में शराबबंदी है, लेकिन जहरीली शराब से मौतें उन राज्यों में भी हो रही है, जहां सरकार ने लोगों को शराब पीने की छूट दे रखी है। अगर मानवाधिकार का कहीं उल्लंघन हुआ है तो वह हरियाणा और उत्तर प्रदेश में हुआ है। वहां शराब के नाम पर जहरीली शराब पीने को दी गई, जिसमें लोगों की मौतें हुई। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग उन मौतों की जांच क्यों नहीं कर रही है? ऐसा लगता है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग भी अब अपने आप को ईडी और सीबीआई जैसी उन एजेंसियों की होड़ में शामिल करना चाह रही है,जो केंद्र के नरेंद्र मोदी सरकार के निर्देश पर काम करती है।
गैर कानूनी काम मानवाधिकार नहीं
कांग्रेस एमएलसी प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि जब बिहार में शराब बंदी लागू है, तो यहां शराब पीना ही अपराध है। जहरीली शराब तो खैर वैसे ही आपराधिक मामला है। गैर कानूनी काम में लिप्त आचरण से किसी की मौत हुई है, जो दुखद है! लेकिन गैरकानूनी काम करना किसी भी नजर से मानव का अधिकार नहीं हो सकता है। यह मौत मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को जांच से पहले इन बिंदुओं को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या जहरीली शराब पीना या शराब पीना या गैर कानूनी काम करना मानवाधिकार का उल्लंघन है?