न्यूज़ डेस्क
राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस की परेशानी अब बढ़ती दिख रही है। सर्कार होने के नाते कई विधायकों का रिपोर्ट कार्ड ठीक नहीं है और कई मंत्रियों के खिलाफ भी जनता में आक्रोश है। ऐसे में गहलोत सरकार के खिलाफ एक एंटी इंकम्बेंसी का माहौल भी दिख रहा है। गहलोत सरकार और कांग्रेस की परेशानी यह है कि उन सीटों पर क्या किया जाए ? विधायकों की सीट काटने पर नाराजगी बढ़ेगी और नहीं कटाई जाए जो सीट हाथ से निकल भी सकती है।
कुल मिलकर कांग्रेस राजस्थान में एंटी इंकबेंसी वाले विधायकों को टिकट देने के मामले में फंस गई है। केन्द्रीय चुनाव कमेटी की सोमवार को हुई बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत अन्य सदस्यों ने एंटी इंकबेंसी वाले विधायकों को टिकट काटने पर जोर दिया। सीईसी की चार घंटे की बैठक में 65 से 70 सीटों पर चर्चा हो सकी। इसके चलते बैठक अधूरी रह गई। शेष 35 से 40 सीटों पर चर्चा के लिए सीईसी की बैठक आज मंगलवार को दोपहर 12 होगी।
राजस्थान में सरकार रिपीट कराने की जद्दोजहद में कांग्रेस बुरी तरह उलझी हुई है। चुनाव के लिए नामांकन शुरू हो चुके हैं, लेकिन कांग्रेस 200 में से सिर्फ 95 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर सकी है। शेष सीटों पर उम्मीदवार चयन के लिए मंगलवार शाम पांच बजे कांग्रेस मुख्यालय में सीईसी की बैठक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में शुरू हुई। सूत्रों ने बताया कि बैठक में स्क्रीनिंग कमेटी ने करीब 65 से 70 सीटों पर पैनल को चर्चा के लिए रखा। राहुल गांधी कमेटी की ओर से सुझाए नामों को सुनील कानुगोलू की सर्वे रिपोर्ट से मिलान कर रहे थे।
सर्वे रिपोर्ट में एंटी इंकबेंसी वाले विधायकों के नाम स्क्रीनिंग कमेटी के पैनल में देख कर राहुल ने स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष गौरव गोगोई से सवाल किया कि हम सभी एंटी इंकबेंसी वाले विधायकों के टिकट काटने के पक्ष में रहे हैं। फिर यह नाम क्यों आ रहे हैं। हालांकि मजबूत विकल्प नहीं होने की बात के चलते अधिकांश टिकट फाइनल कर दिए गए हैं। वहीं शेष 35 से 40 सीटों पर मंगलवार को चर्चा होगी। कोटा उत्तर से शांति धारीवाल व हवामहल से महेश जोशी के टिकट को लेकर फिलहाल संशय बना हुआ है।
