विकास कुमार
भू-बैकुंठ बद्रीनाथ धाम के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने साथ ही इस वर्ष की चारधाम यात्रा का समापन भी हो गया है। कपाट बंद होने से पहले मुख्य पुजारी रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने माता लक्ष्मी की प्रतिमा को गर्भगृह में स्थापित किया। इसके बाद पुजारियों ने उद्धव जी और कुबेर जी की प्रतिमा को मंदिर प्रांगण में लाए।
कपाट बंद होते समय आर्मी की मधुर बैंड की ध्वनि ने सबको भावुक कर दिया। इस मौके पर बद्रीनाथ धाम को 15 क्विंटल गेंदे के फूलों से सजाया गया था। कपाट बंद होने के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पूरे भक्ति भाव से भगवान बद्री विशाल के दर्शन किए। इस बार साढ़े पांच हजार से अधिक तीर्थयात्री कपाट बंद होने के साक्षी बने। इस दौरान पूरी बदरीनाथ पुरी जय बदरी विशाल के जयकारे से गूंज उठी। वहीं ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य ने बताया कि अब भगवान बद्रीनाथ की पूजा ज्योर्तिमठ में होगी।
मंदिर समिति के आंकड़ों के मुताबिक इस साल 18 लाख 40 हजार से अधिक तीर्थयात्री बद्रीनाथ धाम पहुंचे। इस संसार में भगवान बद्री विशाल की महिमा अपरंपार है,उनके दर्शन मात्र से भक्तों का कल्याण हो जाता है। इसलिए जीवन में एक बार जरुर हिमालय की गोद में बसे बद्रीनाथ धाम का दर्शन करना चाहिए।