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चुनावी साल में अशोक गहलोत का बड़ा ऐलान, राजस्थान में 19 नए जिले और 3 संभाग बनाने की घोषणा

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न्यूज डेस्क
अशोक गहलोत की माया को कौन जाने! राजस्थान की राजनीति में वे जादूगर के नाम से ख्यात हैं। वे जादूगिरी पहले करते थे लेकिन राजनीति में भी उनकी जादूगिरी सबको भरमाती ही रही है। उनकी जादूगिरी कभी कांग्रेस को भी भाती है तो कभी भ्रमित भी करती है। हालिया गहलोत का एक साथ 19 नए जिले का ऐलान पार्टी को भी अचंभित कर दिया है। जहां कांग्रेस का आधार भी नहीं है वहां नए जिले के निर्माण की कहानी सबको बेचैन किये हुए है। कांग्रेस के नेता भी कम बेचैन नहीं है। आजादी के बाद पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने एक साथ 19 नए जिले की घोषणा की है वह भी चुनावी साल में। विपक्ष गहलोत के इस खेल से बेदम है तो सत्ता पक्ष इसे गहलोत का मास्टर स्ट्रोक कह रहा है। हालिया बजट में भी गहलोत बड़ी -बड़ी घोषणा कर चुके हैं। संभव था कि बजट के दौरान भी वे नए जिले की घोषणा कर सकते थे। लेकिन उन्होंने अब जाकर किया है। कहा जा रहा है कि चुनाव आने तक वे इसी तरह और भी कई बड़ी घोषणा कर सकते हैं। यह सब गहलोत के प्लानिंग का हिस्सा है।

पिछले साल बजट में ओल्ड पेंशन की घोषणा जिस तरह अविश्वसनीय थी, इसी तरह इस बार 19 जिलों की घोषणा । चुनावी साल में सभी सरकारें लोकलुभावन बजट पेश करती हैं, लेकिन इस बार बचत, राहत और बढ़त के साथ मन-भावन बजट की जो थीम गहलोत ने तैयार की थी, उसने विपक्ष को चुप कर दिया। विपक्ष के पास कोई जवाब नहीं बचा है। हालांकि यह भी सच है कि बजट को धरातल पर उतारना इतना आसान नहीं है, क्योंकि बेहद कम समय बचा है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पिछले सवा चार साल के कार्यकाल को देखें तो उन्होंने हर बार बजट में चौंकाया है। आजादी के समय राजस्थान में 26 जिले थे, जो अब 33 हैं। नए जिलों की घोषणा करना सभी पार्टियां खतरा मानती हैं, लेकिन ये रिस्क गहलोत ने लिया है। उन्होंने 19 नए जिलों के जिस तरह से समीकरण बनाए। उससे कांग्रेस ‘गहलोत है तो मुमकिन है’ की तरह इसे पेश करेगी। गहलोत ने राजनीतिक समर्थकों के साथ विरोधियों को भी साधा है। पार्टी जहां कमजोर है, वहां भी जिलों की घोषणा की गई है। ब्यावर में लंबे समय से कांग्रेस नहीं जीत रही है। भाजपा विधायक शंकर सिंह रावत पैदल यात्रा निकाल चुके हैं। भाजपा राज में भले जिला नहीं बना, लेकिन गहलोत सरकार में जिला बनना कांग्रेस भुनाएगी। इसी तरह पाली, जालोर और सिरोही में भी पार्टी बेहद कमजोर है। पाली को संभाग मुख्यालय बनाना और सांचौर को जिला बनाना भी इसकी ही कोशिश है। फलोदी, बालोतरा को भी जिला बनाकर गहलोत ने जननायक की अपनी छवि को मजबूत करने की कोशिश है। बजट पास होने वाले दिन जिलों की घोषणा से विपक्ष काे निरुत्तर कर दिया है। भाजपा के पास फिलहाल इसकी काट नहीं है।

गहलोत ने बजट में इन नए जिले के लिए 2000 करोड़ का प्रावधान किया है। ऐसे में जिले बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और कांग्रेस इसका क्रेडिट ले लेगी, हालांकि प्रशासनिक प्रक्रिया में समय लगता है।

जिले बनने से फायदे ज्यादा और नुकसान कम है। कई अवसर बनेंगे। राजस्थान की आबादी 7 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। पिछले 30 साल की बात करें तो आबादी दोगुनी हो गई है, लेकिन जिले केवल 7 ही बढ़े हैं। वर्ष 2008 के बाद से राज्य में कोई नया जिला नहीं बना, लेकिन बड़े जिलों में प्रशासन का सभी जगह समान फोकस नहीं हो पाता। नए जिलों से गुड गवर्नेस और फास्ट सर्विस डिलीवरी होती है। यह छोटे जिलों से ही संभव है। हालांकि विपक्ष नए जिलों की घोषणाओं से राजस्थान की आर्थिक स्थिति बिगड़ने का दावा करेगा।

जिलों के ऐलान के आगे कई बड़ी घोषणाएं छुप गईं, लेकिन उन्होंने महिलाओं-छात्राओं को राखी पर 40 लाख स्मार्ट फोन देने की बड़ी घोषणा की है। गहलोत ने बजट के दिन उज्ज्वला से जुड़ी महिलाओं को 500 रुपए में सिलेंडर की घोषणा की थी। इसके बाद ये बड़ी घोषणा है। राजस्थान में इस बार महिला मतदाताओं की संख्या 2.52 फीसदी बढ़ी है, ऐसे में यह उनको साधने की रणनीति का हिस्सा है।

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