चैटफिशिंग एक नया ट्रेंड है जो डेटिंग ऐप्स पर फैल रहा है। इसमें लोग अपनी चैट के लिए AI टूल्स का इस्तेमाल करते हैं। एआई उनके लिए मजेदार जवाब बनाता है और फ्लर्ट करता है। पहले लोग सिर्फ फोटो या बायो बदलते थे, लेकिन अब पूरी बातचीत एआई से चल रही है। यह ट्रेंड इंटरनेट पर तेजी से बढ़ रहा है। कई लोग चैटजीपीटी या दूसरे एआई ऐप्स की मदद लेते हैं। इससे लगता है कि सामने वाला बहुत समझदार और मजेदार बातें करता है, लेकिन असल में यह सब एआई का कमाल होता है।
चैटफिशिंग में लोग रिज या विंग जैसे स्पेशल ऐप्स इस्तेमाल करते हैं। ये ऐप्स सामने वाले के मैसेज पढ़ते हैं और उसके हिसाब से अच्छे जवाब बनाते हैं। कुछ ऐप्स पूरी बातचीत खुद चलाते हैं। यूजर सिर्फ शुरू करता है, बाकी एआई संभाल लेता है। चैटजीपीटी जैसे टूल्स से लोग छोटी लाइन या लंबी कहानी बना लेते हैं। यह आसान लगता है, लेकिन इससे झूठी दोस्ती बनती है। लोग सोचते हैं कि सामने वाला बहुत अच्छा है।
बात चैटफिशिंग के नुकसान की करते हैं।चैटफिशिंग मजेदार लगता है, लेकिन यह खतरनाक है। एआई से बनी बातें यूजर की असली पर्सनैलिटी से मेल नहीं खातीं। मिलने पर सामने वाला निराश हो जाता है। असली रिश्ते के लिए सच्ची बातचीत जरूरी है, लेकिन यह ट्रेंड सब कुछ नकली बना देता है। कुछ लोग इससे दूसरे का भरोसा जीतकर पैसे ठगते हैं। भावनाएं आहत होती हैं और समय बर्बाद होता है। लंबे समय में यह अकेलापन बढ़ा सकता है, क्योंकि असली कनेक्शन नहीं बन पाता है।
चैट फिशिंग के नुकसान की देखते हुए जरूरी है कि समय रहते इसकी पहचान कर लेना ।ऐसे में निम्न बातों पर ध्यान देकर इसे पहचानकर इससे सुरक्षित रह सकता है।
इससे जवाब बहुत तेज आते हैं और हमेशा सही लगते हैं।
AI टूल्स दिन-रात काम कर सकते हैं, इसलिए चैट कभी रुकती नहीं।
सामने वाला यूजर कॉल या वीडियो से बचता है।
24 घंटे में हर टाइम उपलब्ध रहता है।
AI के मैसेज रोबोट जैसे लगते हैं।यह बहुत स्मूथ और बिना भाव के होते हैं।
