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मालेगांव ब्लास्ट मामले में एक और गवाह मुकर गया। हालांकि वह कोई पहला गवाह नहीं था जिसने अपना पाला बदला हो। इससे पहले भी 32 गवाह मुकर गए थे। अब गवाही से मुकरने वालों की संख्या 33 हो गई है। बता दें कि महाराष्ट्र के साल 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में सोमवार को एक और गवाह अदालत के सामने अपना बयान दर्ज करने वाला था लेकिन वह पीछे हट गया। गवाह ने कहा कि उसने अपनी मर्जी से कोई बयान नहीं दिया था।
जानकारी के मुताबिक, अपने बयान से पलटने वाला गवाह मामले के आरोपी सुधाकर द्विवेदी उर्फ दयानंद पांडेय उर्फ शंकराचार्य के बारे में बयान देने वाला था। लेकिन उसने विशेष एनआईए अदालत में स्वेच्छा से महाराष्ट्र पुलिस या आतंकवाद निरोधी दस्ते यानी एटीएस को कोई बयान देने से साफ इनकार कर दिया। जिसके बाद अदालत ने उसे बयान से मुकरा हुआ गवाह घोषित कर दिया।
मालेगांव ब्लास्ट मामले में अदालत ने अब तक तीन सौ से ज्यादा गवाहों का परीक्षण किया है। इस मामले में भोपाल से बीजेपी की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर प्रमुख अभियुक्तों में से एक हैं।मालूम हो कि 29 सितंबर 2008 को मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर उत्तरी महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में बंधे विस्फोटक में धमाका होने से छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे। उत्तर महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव को सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील शहर माना जाता है।
बता दें कि बीजेपी नेता प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित, सुधाकर द्विवेदी, मेजर रमेश उपाध्याय (रिटायर्ड), अजय रहीरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी को मामले में आरोपी बनाया गया है। सभी वर्तमान में जमानत पर हैं। आरोपियों की दलील है कि उन्हें इस मामले में जबरन फंसाया गया है। आरोपियों ने दावा किया कि उन्हें राजनीतिक द्वेष की भावना से इस अपराध में शामिल बताया गया। इस मामले की जांच की अगुवाई पूर्व एंटी टेररिस्ट स्क्वाड प्रमुख हेमंत करकरे कर रहे थे, लेकिन मालेगांव बम विस्फोट की गुत्थी सुलझने से पहले ही करकरे 26/11 मुंबई आतंकी हमले में शहीद हो गए थे।

