अखिलेश अखिल
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी में टूट क्या हुई राजद नेता तेजस्वी ने बीजेपी का खेल हो बिगाड़ दिया। बीजेपी को लग रहा था कि कुशवाहा के डील वाले सवाल आज भी अनुतरित है ऐसे में और भी बहुत से जदयू नेता कुशवाहा के साथ जायेंगे और राजद के भीतर सुधाकर सिंह जैसे नेता जो तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने के अभियान में नीतीश पर हमला कर रहे थे उसमे और भी गति आएगी और नीतीश कही के नही रहेंगे। बीजेपी बहुत आगे की सोच रही थी। उसे लगा था कि सुधाकर सिंह भी बीजेपी में आयेंगे और जदयू के कुछ विधायक भी। लेकिन तेजस्वी ने सब कुछ एक झटके में ही बदल दिया। बीजेपी की सारी राजनीति ही ध्वस्त हो गई।
तेजस्वी यादव के खेल से अब महागठबंधन में कोई दिक्कत नहीं रह गई है। कह सकते है कि बिहार की राजनीति में मची उथल-पुथल में ठहराव आ सकता है। उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे राजद नेताओं को चुप रहने का मैसेज कर दिया गया है। खुद तेजस्वी ने साफ कर दिया है कि उनको मुख्यमंत्री बनने की जल्दी नहीं है। उन्होंने कहा है कि उनका मकसद 2024 में भाजपा को हराना है। अगर तेजस्वी इस बात पर तैयार हैं कि 2024 तक नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने रहें और सारी विपक्षी पार्टियां मिल कर चुनाव लड़ें तो फिर महागठबंधन बने रहने में कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन इससे भाजपा की उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है। भाजपा को लग रहा था कि राजद के नेता नीतीश पर दबाव बनाएंगे कि वे 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ही तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनवाएं। भाजपा को यह भी उम्मीद थी कि इस दबाव में नीतीश गठबंधन तोड़ कर भाजपा के साथ आएंगे और भाजपा तब अपना मुख्यमंत्री बनवा लेगी। बीजेपी यह भी मानती है कि कहने को वाह चाहे जो भी कहे लेकिन नीतीश के हटने के बाद उसकी हालत खराब हुई है ।आगामी चुनाव में उसे जीत हासिल करना कठिन भी है ।इधर जबसे जातिगत जनगणना जारी है बीजेपी की परेशानी कुछ ज्यादा ही बढ़ी है ।जनगणना के परिणाम आने के बाद खेल और भी कठिन हो सकता है।
दरअसल, भाजपा ने इस पर ध्यान नहीं दिया कि लालू प्रसाद के परिवार और उनकी पार्टी को सत्ता की कितनी जरूरत है। लालू प्रसाद और तेजस्वी दोनों को पता है कि नीतीश कुमार के अलावा उनको सत्ता कोई और नहीं दिला सकता है। अभी भले तेजस्वी उप मुख्यमंत्री हैं, लेकिन परोक्ष रूप से सत्ता उनके हाथ में है। वे अपने लोगों के काम करा रहे हैं। अधिकारी उनकी बात सुन रहे हैं। इससे जिला और प्रखंड स्तर पर राजद की ताकत बढ़ी है। तेजस्वी उप मुख्यमंत्री होने का फायदा यह है कि उनकी छवि मजबूत हो रही है। नेता के साथ साथ प्रशासन में भी वे अपनी स्थिति मजबूत कर रहे हैं। उनको पता है कि नीतीश पर ज्यादा दबाव डालेंगे तो वे भाजपा के साथ चले जाएंगे। भले भाजपा उनको सीएम नहीं बनवाए लेकिन वे भाजपा का सीएम बनवा देंगे। तब राजद, तेजस्वी और पूरा लालू परिवार सत्ता से बाहर हो जाएगा। पिछली बार नीतीश पर दबाव डालने का नुकसान राजद उठा चुका है। यही नीतीश कुमार का एडवांटेज है, जिसकी वजह से अभी सरकार को कोई खतरा नहीं दिख रहा है और महागठबंधन की पार्टियां साथ मिल कर 2024 की योजना बना रही हैं। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को बिहार की सत्ता से ज्यादा अगले साल के लोकसभा चुनाव की चिंता है क्योंकि महागठबंधन रहा तो भाजपा को बड़ी दिक्कत होगी।
अब तेजस्वी का पूरा ध्यान लोकसभा चुनाव की तैयारी पर है ।कहा जा रहा है कि कांग्रेस अधिवेशन की समाप्ति के बाद नीतीश और तेजस्वी एक साथ दिल्ली का दौरा करने वाले है ।इस दौरे में कई नेताओं से बातचीत होगी और खासकर कांग्रेस के साथ भी मुलाकात होगी ।जानकर कह रहे है कि तेजस्वी किसी भी कीमत पर विपक्षी एकता को आगे बढ़ाने को तैयार है और कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ने को तैयार है ।