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बिहार जातीय सर्वे में कई खामियां, करना होगा दूर, नीतीश को अमित शाह ने दिया सलाह

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बीरेंद्र कुमार झा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार के जातीय सर्वे को लेकर कहा कि इसमें कुछ समस्याएं हैं, जिन्हें दूर करना होगा। यही नहीं उन्होंने कहा कि भारत सरकार को कभी भी जातीय सर्वे पर आपत्ति नहीं रही है और उसने कभी इसे लेकर बाधा उत्पन्न नहीं की है।उन्होंने कहा कि बिहार में तो जब हम सत्ता में थे, तब जातीय सर्वे का हमने समर्थन ही किया था। पटना में रविवार को जोनल काउंसिल की मीटिंग के दौरान अमित शाह ने ये बातें कहीं। गृह मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि हमें उम्मीद है कि बिहार सरकार जातीय सर्वे में आई खामियों को दूर करने का प्रयास करेगी।

जातीय सर्वे मसला पर अमित शाह और नीतीश कुमार थपपथपा रहे अपनी पीठ

अमित शाह ने कहा कि केंद्र सरकार की कभी भी जातीय सर्वे में बाधा डालने की मंशा नहीं थी। बीजेपी जब बिहार की सरकार में शामिल थी, तो इसने जातीय सर्वे का समर्थन ही किया था, यही नहीं गवर्नर ने भी तुरंत इसे मंजूरी दे दी। वही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने याद दिलाया कि बिहार में हमने दो बार प्रस्ताव पारित किया और केंद्र सरकार से अपील की थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो फिर हमने बिहार सरकार के संसाधनों से इसे करा लिया। उन्होंने कहा कि पूरे देश में जातीय सर्वे करने की जरूरत है।

पूर्वी जोन की मीटिंग में अमित शाह ने किया खुलासा

पूर्वी जॉन की मीटिंग में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा उड़ीसा, बंगाल और झारखंड के वरिष्ठ मंत्रियों ने भी हिस्सा लिया। मीटिंग में बिहार के मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी मौजूद थे। गौरतलब है कि बिहार में हुए जातीय सर्वे का बीजेपी की बिहार इकाई ने भी समर्थन किया था।इसके अलावा आबादी के अनुपात में जातिगत आरक्षण दिए जाने का प्रस्ताव भी विधानसभा से ध्वनिमत पारित हुआ था। बीजेपी ने भी इसका आगे बढ़कर समर्थन किया था। हालांकि अब जातीय सर्वे को लेकर क्रेडिट लेने की जंग छिड़ती दिख रही है ।नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव इसे अपनी सरकार की जीत के तौर पर पेश करते रहे हैं।

जातीय गणना के भरोसे कांग्रेस ढूंढेगी अपना खोया जनाधार

बिहार के बाद यूपी और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में जातीय सर्वे की मांग उठाई जा रही है। कांग्रेस ने तो चुनावी राज्यों में इसे लेकर वादे भी किए थे। माना जा रहा है कि 2024 के चुनाव में कांग्रेस समेत कई विपक्षी राजनीतिक जातीय सर्वे की मांग करते हुए इस मुद्दा को उठा सकते हैं। कांग्रेस को भी यह लगता है कि इसी बहाने वह ओबीसी वर्ग में अपनी कुछ पैठ। बना सकेगी। फिलहाल कांग्रेस हर वर्ग में अपनी पकड़ खोती हुई दिख रही है।ऐसे में इसी बहाने वह एक बड़े वर्ग को साधने का प्रयास अवश्य करेगी।

 

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