न्यूज़ डेस्क
पहले सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी को पढ़िए जिसमे पीठ ने कहा कि ‘भ्रष्टाचार एक बीमारी है, जो जीवन के हर क्षेत्र में व्याप्त है। यह अब शासन की गतिविधियों तक सीमित नहीं है, अफसोस की बात है कि जिम्मेदार नागरिक कहते हैं कि यह जीवन का हिस्सा बन गया है।”
पीठ ने आगे यह भी कहा कि “भ्रष्टाचार की जड़ का पता लगाने के लिए अधिक बहस की आवश्यकता नहीं है। हिंदू धर्म में सात पापों में से एक माना जाने वाला ‘लालच’ अपने प्रभाव में प्रबल रहा है। वास्तव में, पैसे की भूख ने भ्रष्टाचार को कैंसर की तरह पनपने में मदद की है।”
सुप्रीम अदालत की ये तल्ख़ टिप्पणी ऐसे ही सामने नहीं आयी है। देश की राजनीति से लेकर समाज के भीतर से लेकर इंसानी फितरत जो कहानी आज दिख रही है उसकी व्यथा अदालत की यह टिप्पणी बयां कर रही है। हर आदमी कहता है कि वह सत्य के मार्ग पर है और ईमानदार भी लेकिन उनकी करतूतों को अगर परखा जाए तो शर्म से सिर झुक जाता है। आज भ्रष्टाचार चरम पर है और तमाम कानून होने के बाद भी रुकने का नाम नहीं ले रहा। ऐसे में समाज का यह लालची स्वभाव देश को भी दीमक की तरह ही खा रहा है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने समाज में फैले भ्रष्टाचार को लेकर जो बातें कही है वह छत्तीसगढ़ के एक मामले से जुड़ा था। छत्तीसगढ़ में जब बीजेपी की रमन सिंह सरकार थी तब रमन सिंह के प्रधान सचिव थे अमन कुमार सिंह। एक याचिका के जरिये अमन कुमार सिंह और उनकी पत्नी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे। यह मामला जब छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट पहुंचा तो हाई कोर्ट ने अमन कुमार सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की याचिका को रद्द कर दिया था। मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए ये टिप्पणी की है। अब अमन कुमार सिंह और उनकी पत्नी के खिलाफ मुकदमा चलने का रास्ता साफ़ हो गया है।
पीठ ने कहा है कि संविधान के तहत स्थापित अदालतों का देश के लोगों के प्रति कर्तव्य है कि वे दिखाएं कि भ्रष्टाचार को कतई बर्दास्त नहीं किया जा सकता और अपराध करने वालो के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी हो। शीर्ष अदालत ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में धन का सामान वितरण कर भारत में लोगो के लिए सामजिक न्याय सुनिश्चित करने का वादा किया गया है ,जिसे पूरा करने में भ्रष्टाचार एक बड़ी बाधा के सामान है।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में राज्य के पूर्व प्रधान सचिव अमन सिंह और उनकी पत्नी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करते हुए कहा था कि मामला दर्ज करना कानून की प्रक्रिया का ‘‘दुरुपयोग’’ था और आरोप प्रथम दृष्टया संभावनाओं पर आधारित थे। न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की है।
बाद में, नवंबर 2022 में वह कॉरपोरेट कस्टोडियन एंड कॉरपोरेट अफेयर्स प्रमुख के रूप में अडाणी समूह से जुड़े। बाद में जब अडाणी समूह ने समाचार चैनल एनडीटीवी को खरीदा तो सिंह चैनल के बोर्ड के सदस्य के रूप में नियुक्त किए गए।
उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द करने के बाद पीठ ने टिप्पणी की, “ संविधान के प्रस्तावना में, भारत के लोगों के बीच धन का समान वितरण करके सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने का वादा किया गया है, लेकिन यह अभी तक दूर का सपना है। भ्रष्टाचार यदि प्रगति हासिल करने में मुख्य बाधा नहीं भी है, तो निस्संदेह एक बड़ी बाधा जरूर है।