इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के नामित अधिकारी को शुक्रवार को तलब किया।कोर्ट ने इस दौरान सवाल किया कि प्रतिबंधित ‘चीनी लहसुन’ अब भी बाजार में कैसे उपलब्ध है।कोर्ट की लखनऊ पीठ ने केंद्र के वकील से देश में ऐसी वस्तुओं के प्रवेश को रोकने के लिए मौजूद सटीक व्यवस्था के बारे में भी प्रश्न किया है और यह भी पूछा है कि इसके प्रवेश के स्रोत का पता लगाने के लिए क्या कोई कवायद की गई है?
न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओ पी शुक्ला की पीठ ने वकील मोतीलाल यादव द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर यह आदेश पारित किया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि ‘चीनी लहसुन’ के हानिकारक प्रभाव होते हैं,जिसकी वजह से देश में इस पर प्रतिबंध है। एक बरकत नगर कोर्ट को बताया गया कि प्रतिबंध के बावजूद, लखनऊ सहित पूरे देश में ऐसा लहसुन आसानी से उपलब्ध है। याचिकाकर्ता ने अदालती कार्यवाही के दौरान न्यायाधीशों के समक्ष लगभग आधा किलो ‘चीनी लहसुन’ के साथ-साथ सामान्य लहसुन भी पेश किया।
भारतीय लहसुन और चाइनीज लहसुन में अंतर की बात करें तो भारतीय लहसुन की गांठ का साइज छोटा होता है, जबकि चाइनीज लहसुन बड़ा और मोटा होता है।देसी लहसुन की कलियां या तुरी पतली होती हैं,जबकि चाइनीज लहसुन की कलियां खिली हुईं और मोटी होती है।दोनों के रंगों में भी अंतर होता है।चाइनीज लहसुन की तैयारी में कैमिकल्स के इस्तेमाल किए जाने और सिंथेटिक प्रोसेस अपनाए जाने की वजह से यह एकदम सफेद, साफ और चमकदार नजर आता है,जबकि देसी लहसुन कुछ क्रीम कलर या पीलापन लिए हुए सफेद दिखता है।
चाइनीज लहसुन के हानिकारक प्रभाव को देखते हुए जब भी आप लहसुन खरीदें तो गांठ की एक कली को तोड़ लें और इसे सूंघें।देसी लहसुन की गंध तेज और तीखी होती है, वहीं चाइनीज लहसुन में इतनी तेज गंध आपको नहीं आएगी। चाइनीज लहसुन छीलने में बहुत ही आसान होता है, जबकि देसी लहसुन की कलियों के बारीक और पतली होने के चलते छीलने में दिक्कत आती है।