रांची (बीरेंद्र कुमार): झारखंड आंदोलनकारियों को सम्मान और पेंशन देने का एजेंडा हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्रित्व वाली वर्तमान महागठबंधन सरकार का प्रमुख एजेंडा है। एजेंडा के तहत झारखंड आंदोलनकारी चिन्हितीकरण आयोग का गठन हुआ। लेकिन अब झारखंड आंदोलनकारी को सम्मान देने वाला यह आयोग ही विवादों के घेरे में आ गया है। सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी दुर्गा उरांव के अध्यक्ष बनने के बाद,आयोग में 20 पुलिसकर्मी आयोग के कामकाज और आंदोलनकारियों की ओर से आने वाले आवेदनों की जांच के लिए प्रयुक्त किए गए है। अब रांची जिला बल के एसआई चौधरी राघवेंद्र राय पर पैसा वसूली का आरोप लग रहा है।
राज्य के विभिन्न हिस्सों से आ रही है पैसा वसूली की शिकायत
झारखंड आंदोलन से जुड़े अजय कृष्ण ने मुख्यमंत्री सचिवालय को पत्र भेजकर एएसआई की शिकायत की है। कोडरमा से मिली शिकायत में कहा गया है कि यह व्यक्ति आंदोलनकारियों से गुपचुप तरीके से पैसे लेकर काम करता है। ऐसी शिकायत गढ़वा से भी आई है। गढ़वा के रामजीत महतो और राजेश मेहता सहित कई लोगों ने पेयजल मंत्री मिथिलेश ठाकुर को पत्र लिखकर इस एसआई की शिकायत की है। विभाग ने मामले की छानबीन के लिए आयोग को पत्र भेजा है। सूचना के मुताबिक इसकी जानकारी अध्यक्ष दुर्गा उरांव को भी है ,लेकिन अब तक इसपर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। वर्तमान आयोग में पुलिसकर्मियों की टीम बनाई गई है। वर्तमान अध्यक्ष दुर्गा उरांव को सरकार ने 14 जुलाई 2021 को अध्यक्ष का जिम्मा दिया था। दुर्गा उरांव के लगभग डेढ़ वर्ष के कार्यकाल में करीब 250 आंदोलनकारी चिन्हित किए गए हैं।
आयोग में कौन कौन हैं प्रतिनियुक्त?
आंदोलनकारी चिन्हितीकरण आयोग में पुलिस और गृह विभाग से कई लोगों को प्रतिनियुक्ति पर रखा गया है। इस आयोग में पुलिस विभाग से एएसआई चौधरी राघवेंद्र राय पुलिस संत बहादुर तामग, क्षेत्र बहादुर तामग, संदीप लकड़ा हंसराज मुंडा,बिमल तिर्की, सत्येंद्र महतो, भुवनेश्वर कुमार,साबिर अंसारी, घासीराम महतो, लुकस वारला,वाणेश्वर महतो, चंद्रहास मुंडा,कार्तिक सुनवार,सुधीर खलको, महिला पुलिस राजकुमारी,संगीता कुमारी, प्रमिला भेगरा नादिया तिर्की और गुंजन कुमारी प्रतिनियुक हैं, जबकि गृह विभाग से ऐसओ विकास प्रसाद, रोहित टोप्पो और लिपिक संतोष दुबे प्रतिनियुक्त हैं।
चिन्हित आंदोलनकारी ही दलाली कर रहे हैं
आंदोलनकारी चिन्हितीकरण आयोग के अध्यक्ष दुर्गा उरांव ने इस बाबत कहा कि मेरे कार्यालय में कोई गलत काम नहीं कर सकता है। मुझे भी सूचना है कि आंदोलनकारी बनाने के नाम पर पैसे लिए जा रहे हैं। कुछ चिन्हित आंदोलनकारी ही दलाली कर रहे हैं। ऐसे लोग बाहरी लोगों से कहते हैं कि हम तुम्हें आंदोलनकारी बना देंगे। इस हालत को देखकर दुख होता है। मुझे तो ऐसे में पद छोड़ देने का मन करता है। जो गलत है उसे कोई आंदोलनकारी बना नहीं सकता है, और जो सही में आंदोलनकारी है, उसे कोई रोक नहीं सकता है।
गौरतलब है कि इससे पूर्व विक्रमादित्य आयोग ने 5000 से अधिक आंदोलनकारी चिन्हित किए थे, जबकि बाद के डेढ़ साल में मात्र 250 आंदोलनकारी ही चिन्हित हुए हैं।