नई दिल्ली: इंडिया डिबेट विद आशुतोष पाठक में शुक्रवार को हुई चर्चा के दौरान वरिष्ठ कानूनी विशेषज्ञ और एडवोकेट नीलेश ओझा ने सीरम इंस्टीट्यूट के संस्थापक अदार पूनावाला के बारे में कई खुलासे किये। उन्होंने कहा कि एक अक्टूबर 2022 को आदर पूनावाला ने पुलिस को एक शिकायती पत्र भेजा था जिसमें लिखा गया कि अवेकन मूवमेंट इंडिया के जितने लोग हैं उन्हें गिरफ्तार किया जाए। लेकिन पुलिस ने अनार पूनावाला की बात को कोई तवज्जो नहीं दी, और कहा कि आपके पत्र में हमे गिरफ्तार करने योग्य कोई कारण नहीं दिख रहे हैं। मुंबई हाईकोर्ट ने भी पूनावाला के आरोपों को निराधार बताया। डिबेट के दौरान ओझा ने बताया कि पुलिस पूनावाला के दबाव में नही थी और पुलिस ने ये देखा कि सच किधर और क्या कानून क्या कहता है। नीलेश ओझा ने बताया कि हमने कभी भी पुलिस डिपार्टमेंट के खिलाप आरोप नहीं लगाये,जो गलत कर रहे थे गलत है ओर जो सही है वो सही है,पूरा डिपार्टमेंट गलत नहीं हो सकता।
हाईकोर्ट ने भी दिया पूनावाला को झटका
भारत की न्यायपालिका पर नीलेश ओझा ने बताया कि पुलिस ने जब अदार पूनावाला की बता नहीं सुनी तो अदार पूनावाला और सीरम इंस्टीट्यूट ने हाईकोर्ट का रुख किया और सौ करोड़ रुपये कंपनसेशन की मांग की। पूनावाला ने कोर्ट में मांग की कि सीरम इंस्टीट्यूट की वजह से लोगों की मौत होती है ऐसे सारे लोगों को अपनी बात रखने से, अपना न्यूज चैनल चलाने से प्रतिबंधित किया जाय। उनके खिलाफ इंजप्सन दिया जाए।
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कोर्ट ने नहीं दी पूनावाला को तवज्जो
नीलेश ओझा ने बताया कि अदार पूनावाला ने 18 अक्टूबर 2022 को कोर्ट में एक अर्जी लगायी कि जो लोग उनके खिलाफ जो दुष्प्रचार हो रहा है अगर उनको नहीं रोका तो मेरा बहुत नुकसान हो जाएगा। बोम्बे हाई कोर्ट के जज ने पूरा मामला सुनने के बाद पूनावाला को कोई राहत नहीं दी। हाईकोर्ट ने भी पूनावाला की शिकायत को स्वीकार नहीं किया। ओझा ने इस पर बताया कि न्यायपालिका पैसों वालों की गुलाम नहीं है कि इन्होंने जो कह दिया वो मान लिया जाए। इसके बाद पूनावाला ने 23 नबंबर 2022 को फिर से कोशिश की लेकिन हाईकोर्ट के जज ने कहा कि मेरे सामने ये मामला मत रखिये। डिबेट में नीलेश ओझा ने इसके अलावा पूनावाला पर कई खुलासे किए है।