अखिलेश अखिल
समय और नियति को कौन जाने ! समय का चक्र किसी इंसान को कभी ऊंचाई पर खड़ा कर देता है तो कभी जमींदोज। समय का यही चक्र तो इंसान नहीं समझता। वह खुद को सबसे ज्यादा बाहुबली और सफल मानता है। लेकिन वह नहीं जानता कि सफलता उसकी बाजू में नहीं है। सफलता तो उस समय में निहित है जो उसके फेवर में खड़ा है। समाया पाला बदलता है और वही इंसान कहाँ चला जाता है किसी को पता भी नहीं चलता। अडानी ने भी खुद को खुदा समझ लिया था लेकिन अब ढेर होते दिख रहे हैं। पहले अमीरों की सूची में अडानी तीसरे पायदान पर खड़े थे अब 20 वे पायदान से भी आउट हो गए हैं।
हिंडेनवर्ग रिपोर्ट आने के बाद सब कुछ बदल गया। अडानी की तक़दीर बदल गई तो विपक्ष को मोदी सरकार को घेरने का मौक़ा। यह ऐसा हथियार है जो भोथरी होती नहीं दिख रही है। इसमें लम्बी राजनीति है और उसकी परिणति भी। सध गया तो खेला हो सकता है ,चूक गए तो कोई हानि भी नहीं। मोदी सरकार की अभी यही परेशानी है। अमीरो की लिस्ट में अडानी हर दिन गोता खा रहे हैं। पहले तीन से नीचे गिरकर सातवे पायदान पर आये थे। फिर गिरावट हुई और दस वे पायदान पर आये। फिर गिरे और 15 वे पायदान पर सड़क गए और अब 20 से भी आगे चले गए। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट कह रही है कि अडानी अब 22 वे पायदान पर जा चुके हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट यह भी कह रही है कि अडानी का अब ऊपर उठाना आसान नहीं है। आने वाले समय में यह गिरावट और भी जारी रहने वाली है। खबर के मुताबिक फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग बड़ी छलांग लगाकर अमीरों की सूची में 13 वे स्थान पर पहुँच गए हैं।
अभी तक अडानी समूह को सौ अरब डॉलर का नुक्सान हो चुका है। हालत अगर यही तक की होती तो कोई बात नहीं थी। हालत तो इतनी ख़राब है हर रोज अडानी शेयर में भारी गिरावट जारी है और माना जा रहा है कि अडानी की दौलत में भारी गिरावट जारी रहेगी। उधर सरकार परेशान हो चुकी है। बैंक भी परेशान है और एलआईसी भी हताशा की तरफ बढ़ रही है। ऊपर से सरकार के दबाब में बैंक और एलआईसी भले ही कह रहे हो कि अभी चिंता की कोई बात नहीं लेकिन उनके पसीने तो छूट रहे हैं। सरकार विपक्ष का वार झेल रही है और संसद ठप सा हो गया है।
विपक्ष इस मामले की जांच चाहता है लेकिन सरकार मना कर रही है। सरकार जानती है कि अगर जांच शुरू हुई तो कई और कारनामे सामने आ सकते हैं। कई नयी जानकारी सामने सामने आएगी और सरकार की मुसीबत बढ़ेगी। लेकिन सरकार को कुछ करना तो पडेगा .अगर सरकार ने कुछ नहीं किया तो फिर लोकतंत्र मजाक बनकर रह जाएगा और इसके इल्जाम भी सरकार पर ही लगेंगे।