अखिलेश अखिल
इधर एक बड़ी खबर आयी है। केजरीवाल की पार्टी आप और कांग्रेस ने एक बड़ा समझौता किया है। अब मिलाकर चुनाव लड़ने का समझौता। यह समझौता गुजरात को लेकर है। दिल्ली और पंजाब में आगे क्या होगा उस पर चर्चा बाद में होगी लेकिन अभी गुजरात को लेकर ऐलान हो गया है। खबर यह है कि लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और आप में गठबंधन होगा। दोनों पार्टियां एक साथ होकर भाजपा के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरेगी। यह गठबंधन गुजरात के लिए हुआ है। इस गठबंधन की घोषणा आम आदमी पार्टी के गुजरात के वरिष्ठ नेता इसुदान गढ़वी ने किया है। गढ़वी ने कहा कि दोनों पार्टियां इंडिया गठबंधन के तहत चुनाव लड़ेंगी।
एक टीवी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार गुजरात विधानसभा चुनाव में आप की ओर से सीएम फेस रहे इसुदान गढ़वी ने कहा कि कांग्रेस और आप सीटें बांटकर लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि गठबंधन महंगाई सहित अन्य मुद्दों पर आगे बढ़ रहा है। आप नेता ने गुजरात सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो गयी है। आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी सभी 26 सीटें नहीं जीत पाएगी।
मालूम हो कि गुजरात में लोकसभा की 26 सीटें है। 2014 और 2019 के आम चुनाव में बीजेपी ने सभी 26 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार लोकसभा चुनाव में गुजरात में भाजपा को आप और कांग्रेस से मुकाबला करना होगा। अभी चुनाव में काफी वक्त बाकी है। देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस और आप का यह गठबंधन भाजपा के गढ़ गुजरात में भगवा पार्टी को कितना डेंट दे पाते है।
कल तक जो एक दूसरे के दुश्मन बने बोले से बाज नहीं आते थे अब एका की बात कर रहे हैं। कही चोर और साधू एक हो रहे हैं तो कही विधर्मी राजनीति का एकीकरण होता दिख रहा है। बीजेपी को गलियाना वाला राजभर अब बीजेपी की बंदना करने से नहीं अघाते तो अजित पवार पर को महाभ्रष्ट कहने वाली बीजेपी अब अजित दादा कहकर पुकार रही है। गृह मंत्री अमित शाह भी कशीदे गढ़ कर पुणे से लौटे हियँ। इससे पहले भी पीएम मोदी भी अजित पवार की पीठ पर हाथ रख चुके हैं। उधर नीतीश कुमार हमेशा लालू के खिलाफ ही लड़ते रहे। लेकिन अब गलबहियां देखते ही बनती है। उधर ममता दीदी के रडार पर अक्सर रहने वाले राहुल गाँधी अब उनके फेवरेट हो गए हैं।
अखिलेश यादव को पहले राहुल गाँधी से परहेज था लेकिन अब नहीं है। वे साथ मिलकर कोई बाद ाखेला करने को तैयार हैं। जल्द ही बैठक भी होने वाली है। कांग्रेस के धुर विरोधी अधिकतर पार्टियां अब कांग्रेस के साथ आने से गुरेज नहीं कर रही है। आखिर क्यों ?
कह सकते हैं कि बदलते भारत की राजनीतिक तस्वीर है। राजनीति का यही असली चरित्र है। ऐसा चरित्र जिसका कोई रूप रंग नहीं है। कोई विचार नहीं ,कोई आस्था है। किसी नेता से सवाल करिये तो जवाब मिलेगा उस पर आपको हंसी आ सकती है। लेकिन इन नेताओं को कोई हंसी नहीं आती। वे जानते हैं कि झूठ की बदौलत ही उनका कारोबार चलता है। राजनीति से बड़ा कारोबार कोई नहीं। यह ऐसा कारोबार है जिसमे किसी पूंजी की जरूरत नहीं होती। जाति और धर्म के नाम पर केवल जमात बनाए जाने की जरूरत है। जिसके जमात में ज्यादा जनता आ गई उसका कारोबार चल निकला। आगे की राजनीति इसी दिशा में जानी है। आगे भी चलती रहेगी।

