विकास कुमार
अमूमन ये माना जाता है कि बच्चों की हार्ट अटैक से मौत नहीं होती है,लेकिन लखनऊ के सिटी मांटेसरी स्कूल में नौंवी क्लास के स्टूडेंट आतिफ सिद्दीकी की हार्ट अटैक से मौत हो गई। महज 14 साल के आतिफ सिद्दीकी की अचानक हुई मौत ने आमजन के साथ ही डॉक्टरों को भी हैरत में डाल दिया है। डॉक्टरों के मुताबिक इस तरह अचानक गिरकर हुई मौत को हार्ट फेल्योर मान लिया जाता है। हालांकि, यह बात गौर करने वाली है कि इस उम्र में हार्ट फेल्योर की आशंका कम होती है। आतिफ केमिस्ट्री की क्लास के दौरान अचानक बेहोश हो गया। स्कूल के टीचर और नर्स कार से उसे पास के आरुशी मेडिकल सेंटर ले गए,उसके पिता को भी तत्काल फोन से जानकारी दे दी गई। वह भी आरुशी मेडिकल सेंटर पहुंचे,वहां डॉक्टर ने बच्चे को सीपीआर दिया, लेकिन होश नहीं आया। डॉक्टर ने हार्ट अटैक की आशंका जताते हुए उसे लारी कार्डियोलॉजी रेफर किया। ऑक्सीजन सपोर्ट पर एंबुलेंस से लारी कार्डियोलॉजी ले जाया गया,लेकिन बच्चे की इमरजेंसी में पहुंचने से पहले ही मौत हो चुकी थी। वहीं इस घटना के चश्मदीद टीचर ने विस्तार से जानकारी दी है।
वहीं इस हैरान करने वाली घटना से मृत बच्चे का परिवार गहरे सदमे में चला गया है। पीड़ित पिता मोहम्मद अनवर सिद्दीकी ने बताया की उनकी बच्चे की आंखें लाल थीं और पूरा शरीर पीला पड़ गया था। हालांकि, यह बात गौर करने वाली है कि इस उम्र में हार्ट फेल्योर की आशंका कम होती है। डॉक्टरों के अनुसार इस उम्र में दिल का दौरा पड़ने या फेल होने की आशंका कम रहती है,लेकिन आनुवांशिक बीमारी इसका कारण जरूर बन सकती है। इलेक्ट्रिकल शॉर्ट सर्किट नाम की दिल की बीमारी में मरीज की धड़कन तेज हो जाती है। चिकित्सीय भाषा में इसे इलेक्ट्रिकल इम्बैलेंस कहते हैं,इसमें भी मरीज की अचानक मौत हो सकती है।
कोरोना के बाद से ही हर उम्र के स्वस्थ लोगों की हार्ट फेल्योर से मौत हो रही है,लेकिन भारत सरकार इस मामले में कोई स्टडी नहीं करा रही है। हार्ट फेल्योर से बचने के लिए लोगों को खुद ही पहल करनी पड़ेगी और डॉक्टर की सलाह पर अमल करना पड़ेगा।