बीरेंद्र कुमार झा
तीन क्रिमिनल लॉ बिल के पहले लोकसभा और इसके बाद राज्यसभा से भी पास हो जाने के बाद अंग्रेजों के समय से चले आ रहे आईपीसी, सीआरपीसी,और ज्यूरिस्प्रूडेंस जैसे कानून अब अतीत की बात बनकर रह जाएगा और इसकी की जगह अब स्वतंत्र भारत में बना भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता- 2023, भारतीय न्याय संगीता- 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम- 2023 प्रचलन में आ जाएगा। लोकसभा और राज्यसभा में इन तीनों क्रिमिनल ला के पास हो जाने के बाद अब इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही यह कानून का रूप ले लेगा।
तीन नए कानून को राज्यसभा से मंजूरी मिलने पर बोले पीएम मोदी- नए युग की शुरुआत
तीन क्रिमिनल लॉ को राज्यसभा से मंजूरी मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए उसमें लिखा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता- 2023, भारतीय न्याय संगीता- 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम- 2023 का पारित होना एक ऐतिहासिक क्षण है।यह विधेयक औपनिवेशिक युग के कानूनों के अंत का प्रतीक है। जनता पर केंद्रित कानून के साथ एक नई युग की शुरुआत होनी है।यह परिवर्तनकारी विधेयक सुधार के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।।यह विधेयक संगठित अपराध आतंकवाद और ऐसे अपराधों पर कड़ा प्रहार करने वाला है।
नए कानून में आतंकवाद, मोब लिंचिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा पर कठोर सजा का प्रावधान
लोकसभा और राज्यसभा द्वारा पास किए गए तीन नए क्रिमिनल लॉ में औपनिवेशिक काल की अपराधिक कानून में आमूल- चूल बदलाव करने के साथ ही आतंकवाद, लिंचिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले अपराधों के लिए सजा को और अधिक कठोर बनाने की प्रावधान किए गए हैं।
भारतीय दर्शन पर आधारित न्याय प्रक्रिया की शुरुआत
तीन अपराधिक कानूनों के स्थान पर लाए गए विधेयकों के सांसद से पारित होने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अब भारत के आपराधिक न्याय प्रक्रिया में एक नई शुरुआत होगी, जो पूर्णतया भारतीय होगी। विधेयकों पर चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि नए कानून को ध्यान से पढ़ने पर पता चलेगा कि इसमें न्याय के भारतीय दर्शन को स्थान दिया गया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने भी राजनीतिक न्याय, आर्थिक न्याय और सामाजिक न्याय को बरकरार रखने की गारंटी दी है। संविधान कि यह याह गारंटी 140 करोड़ के देश को ये तीनों विधेयक देने वाले हैं।
चल जाएगा अदालतों से तारीखों पर तारीखों का दौर
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा इन कानून के लागू होने के बाद देश की अदालतों से तारीख पर तारीख का दौर चल जाएगा।अब देश में ऐसी न्याय प्रणाली विकसित की जाएगी, जिससे किसी भी पीड़ित को 3 साल में न्याय मिल जाएगा।