विकास कुमार
मोदी सरकार महिला आरक्षण बिल को 22 सितंबर तक चलने वाले संसद के विशेष सत्र में पास कराना चाहती है। ज्यादातर दलों के समर्थन से इसका पास होना भी पहले से तय माना जा रहा है,लेकिन 2024 के आम चुनाव में महिला आरक्षण लागू होना मुश्किल लग रहा है। क्योंकि मसौदे के मुताबिक, कानून बनने के बाद पहली जनगणना और परिसीमन में महिला आरक्षित सीटें तय होंगी। 2021 में होने वाली जनगणना अब तक नहीं हो सकी है। ऐसे में महिला आरक्षण 2026 से पहले लागू होने की संभावना कम है। कांग्रेस सांसद पी. चिदंबरम ने कहा कि न तो अगली जनगणना और न ही परिसीमन की तारीख तय है। ऐसे में महिला आरक्षण किस आधार पर दिया जाएगा।
महिला आरक्षण को लागू करने के लिए राज्यों की भी सहमति जरूरी है। अनुच्छेद 368 के मुताबिक, संविधान संशोधन बिल के लिए कम से कम 50 फीसदी राज्यों की सहमति जरूरी होती है। अभी देश के 16 राज्यों में एनडीए की सरकार है,11 राज्यों में इंडिया गठबंधन और 3 राज्यों में अन्य दलों की सरकारें हैं। हालांकि, ज्यादातर पार्टियां समर्थन में हैं, इसलिए इसमें दिक्कत नहीं होगी।
साफ है कि 2026 के परिसीमन में तय होगा कि कौन-सी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। इसके बाद जब-जब परिसीमन होगा, उस हिसाब से सीटें बदलती रहेंगी। इसके लिए पंचायतों में लागू लॉटरी सिस्टम की तरह सीटें तय की जा सकती हैं। वहीं कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि महिला आरक्षण 2029 से पहले लागू नहीं हो सकता है,इसलिए ये भी मोदी का चुनावी जुमला है।
ये तो साफ है कि जनगणना और परिसीमन के बिना महिला आरक्षण को लागू करना संभव नहीं है,इसलिए एक्सपर्ट्स का मानना है कि 2029 से पहले महिला आरक्षण लागू नहीं हो पाएगा।