न्यूज़ डेस्क
अडानी समूह के कथित घपले को लेकर संसद से सड़क तक विपक्ष लगातार लड़ाई लड़ता नजर आ रहा है। संसद के भीतर कांग्रेस लगातार मोदी सरकार पर हमलावर है लेकिन मोदी सरकार कांग्रेस के सवालों पर कोई तरजीह देती नजर नहीं आ रही है। लोकसभा और राज्य सभा में पीएम मोदी खुद बोलने आये लेकिन अडानी मसले पर उन्होंने मुँह तक नहीं खोला। उलटे कांग्रेस को ही ग्रिल करके निकल गए। लेकिन कांग्रेस लगातार सरकार से सवाल पूछ रही है। वह हर रोज सरकार से तीन सवाल पूछ रही है। ताजा सवाल फिर सामने आये हैं।
पहला सवाल
सितंबर 2020 में आपके द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों को भारत के किसानों से भारी विरोध का सामना करना पड़ा, जिसके कारण नवंबर 2021 में आप इन काले कानूनों को वापस लेने के लिए बाध्य हुए। इन काले कानूनों के रहते अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स इनका सबसे बड़ा लाभार्थी होता। परन्तु इन कानूनों के न होने के बावजूद अडानी भारतीय खाद्य निगम के साइलो अनुबंधों का प्रमुख लाभार्थी बन गया और इसे हाल ही में यूपी और बिहार में 3.5 लाख मीट्रिक टन भंडारण स्थापित करने का ठेका मिला है। इस बीच अडानी फार्म-पिक ने हिमाचल प्रदेश में सेबों की खरीद पर लगभग एकाधिकार स्थापित कर लिया है। क्या भारतीय कृषि का ऐसा कोई क्षेत्र है जिसे आपने अडानी समूह को सौंपने का प्रयास नहीं किया है?
दूसरा सवाल
नवीकरणीय ऊर्जा असीम संभावनाओं का एक और क्षेत्र है, जिसके संदर्भ में आपका एकमात्र लक्ष्य केवल अडानी की सहायता करना है। 14 जून 2022 को, अडानी समूह ने घोषणा की कि वह फ्रांस की टोटल एनर्जी के साथ महत्वपूर्ण साझेदारी के अंतर्गत ग्रीन हाइड्रोजन में डॉलर 50 बिलियन का निवेश करेगा और गौर से देखिए! 4 जनवरी 2023 को ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अडानी को सब्सिडी देने के उद्देश्य से 19,744 करोड़ रूपये के परिव्यय के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को अपनी मंजूरी दे दी। यद्यपि टोटल एनर्जी ने इस उद्यम में अपनी भागीदारी को निलंबित कर दिया है, लेकिन क्या अडानी की कोई ऐसी व्यावसायिक घोषणा है, जिसे करदाता के पैसों से वित्त पोषित सब्सिडी प्रदान नहीं की गई?
तीसरा सवाल
इस पूर्व शर्त को दरकिनार करते हुए कि एक संचालक को दो से अधिक हवाई अड्डों का संचालन नहीं सौंपा जाएगा, आप 2019 में छह में से छह हवाई अड्डों का संचालन अडानी समूह को सौंपने में सफल रहे। 1 फरवरी को ‘मित्र काल’ बजट भाषण में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि अगले चरण में 50 और हवाई अड्डे, हेलीपोर्ट और वाटर एयरोड्रोम को पुनर्जीवित किया जाएगा। इनमें से कितने अडानी की झोली में जाएंगे? क्या आप यूपीए काल के उस नियम को बहाल करेंगे जिसके अंतर्गत प्रतिस्पर्द्धा सुनिश्चित करने के लिए एक संचालक को संचालन के लिए मिलने वाले हवाईअड्डों की सीमा निर्धारित की गई थी या आप अडानी के हवाईअड्डों पर एकाधिकार का विस्तार करना जारी रखेंगे?
