न्यूज़ डेस्क
बीजेपी के निशाने पर वैसे कई नेता है और कई मुख्यमंत्री भी। लेकिन ये सभी विपक्षी नेता हैं और विपक्षी मुख्यमंत्री भी। खेल गजब का है। बीजेपी के इशारे पर करीब चार से पांच सीएम ईडी के रडार पर हैं और कोई तीन दर्जन नेता पर ईडी की नजर है। इन नेताओं में राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी भी शामिल है। लेकिन ईडी अभी सबसे पहले दिल्ली के सीएम केजरीवाल और झारखंड के सीएम हेमंत को गिरफ्त में लेना चाहती है। वह लेगी भी। सितम्बर से अभी तक इसको लेकर कई समन ईडी हेमंत और केजरीवाल को भेजती रही है लेकिन ये दोनों मुख्यमंत्री अभी तक ईडी के सामने पहुंचे नहीं है। हालांकि इसके पूर्व भी इन मुख्यमंत्रियों से पूछताछ हो चुकी है लेकिन ईडी को अब फाइनल पूछताछ और फाइनल गिरफ्तारी करनी है।
यह सब कब होना है यही अभी तय नहीं हुआ है। बीजेपी के लोग कह रहे हैं कि पांच राज्यों के चुनाव के बाद गिरफ्तारी निश्चित होगी। कारण यह है कि हेमंत को गिरफ्तार कर झारखंड में झामुमो को बदनाम करना है और इसके साथ ही अगले विधान सभा चुनाव में बीजेपी के लिए मैदान तैयार करना है। इधर दिल्ली का भी यही हाल है। दिल्ली में भी अगले साल ही विधान सभा चुनाव भी होने हैं। ठीक लोकसभा चुनाव के बाद। इसलिए केजरीवाल की गिरफ्तारी भी तय मानी जा रही है।
केजरीवाल पर शराब घोटाले का आरोप है तो हेमंत पर जमीन घोटाले का आरोप है। आरोप तो कई और नेताओं पर भी है। बीजेपी के भी बहुत से नेताओं पर भी बहुत से आरोप हैं। कई आरोप तो काफी चर्चित भी है। लेकिन बीजेपी को किसका डर ? क्या ईडी एजेंसी बीजेपी नेताओं के पास जा सकती है ? कल जब सरकार पलटेगी तो इन जांच एजेंसियों की गति क्या होगी और इन जांच एजेंसियों से जुड़े अधिकारीयों का एक्शन किधर मुड़ेगा यह कौन जानता है ?
लेकिन मजे की बात यही कि अभी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने चुप्पी साध ली है। अगस्त और सितंबर के महीने में ऐसा लग रहा था कि जैसे ईडी के पास हेमंत सोरेन को बुला कर पूछताछ करने के अलावा कोई काम नहीं है। इन दो महीनों में उनको पांच समन जारी किए गए लेकिन वे पूछताछ के लिए नहीं गए। इस दौरान वे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी गए। उच्च अदालतों से उनको राहत नहीं मिली लेकिन अचानक उनके खिलाफ समन जारी होने बंद हो गए। इसी तरह अरविंद केजरीवाल का मामला है। ईडी ने उनको एक समना जारी किया लेकिन वे पूछताछ के लिए नहीं गए। उसके बाद उनको दूसरा समन जारी नहीं किया गया। केजरीवाल ने ईडी से पूछा कि उन्हें दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर या आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक के तौर पर या एक व्यक्ति के तौर पर बुलाया जा रहा है? केजरीवाल ने यह भी पूछा था कि वे आरोपी के तौर पर बुलाए जा रहे हैं का गवाह के तौर पर। यह चिट्ठी भेजने के बाद केजरीवाल ने चुनाव प्रचार के लिए मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ चले गए। उसके बाद अब दो हफ्ते हो गए लेकिन ने उनको दूसरा समन जारी नहीं किया।
उधर झारखंड में हेमंत सोरेन को जो पांचवां और आखिरी समन जारी हुआ था उसमें उन्हें चार अक्टूबर को पूछताछ के लिए बुलाया गया था। लेकिन वे पूछताछ के लिए नहीं गए। ईडी के समन के खिलाफ वे पहले सुप्रीम कोर्ट गए थे लेकिन वहां से राहत नहीं मिली थी। सर्वोच्च अदालत ने उनको हाई कोर्ट जाने को कहा था। उनके मामले पर हाई कोर्ट में 14 अक्टूबर को सुनवाई हुई और वहां भी कोई राहत नहीं मिली। अदालत ने कहा कि वे जिस समन के खिलाफ अदालत पहुंचे हैं उसकी अवधि बीत गई है इसलिए मामले सुने जाने योग्य नहीं है। अदालत के इस आदेश के बाद एक महीने हो गए और हेमंत सोरेन को समन जारी नहीं हुआ।
तभी सवाल है कि ईडी क्या प्लानिंग कर रही है? वह किस बात का इंतजार कर रही है? ऐसा तो नहीं हो सकता है कि केजरीवाल और हेमंत सोरेन ने कहा कि ईडी का समन अवैध है और ईडी ने इसे मान लिया। अगर ईडी को लगता है कि शराब घोटाले में केजरीवाल से और जमीन घोटाले में हेमंत से पूछताछ जरूरी है तो वह करेगी। ईडी का जो तरीका है उसके मुताबिक केजरीवाल को दूसरा समन जारी होना चाहिए था या हेमंत की याचिका हाई कोर्ट ने खारिज की तो उन्हें छठा समन जारी होना चाहिए था। ऐसा लग रहा है कि ईडी ने छठा समन इसलिए जारी नहीं किया क्योंकि उसके बाद हेमंत फिर हाई को