न्यूज़ डेस्क
पांच राज्यों के चुनाव अब अंतिम पड़ाव पर पहुँच गया है। तेलंगाना में आज शाम को प्रचार ख़त्म हो जायेगा इसके बाद पार्टी के लोग घर -घर जाकर लोगों से मिल सकते हैं। 30 नवम्बर को तेलंगना में चुनाव है। बीजेपी हर हाल में यहाँ त्रिकोणीय माहौल को तैयार कर रही है ताकि किसी भी सूरत में कांग्रेस की जीत हासिल नहीं हो। सीटों का बंटवारा हो जाये और फिर बीजेपी के बिना किसी की सरकार ही न बने। बीजेपी की सरकार कांग्रेस के साथ बनेगी नहीं। ऐसे में इस बात की प्रबल सम्भावना है कि कांग्रेस अगर सरकार बनाने से चूक जाती है तो बीजेपी और बीआरएस की सरकार बन सकती है। हालांकि यह सब चुनावी परिणाम के बाद ही पता चलेगा।
लेकिन अब कल से बीजेपी की तैयारी आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर शुरू हो गई है। बीजेपी अब उन तमाम मुद्दों को धार दे रही है जो पहले राजनीति को गर्म कर दिए थे। बीजेपी इस बात का मंथन कर रही है कि आखिर किन किन मुद्दों पर देश की जनता को अपने पाले में लाया जा सकता है और फिर से मोदी की सरकार बन सकती है।
ऐसा लग रहा है कि बीजेपी और उसकी केंद्र सरकार ने कई मुद्दों को इसलिए लम्बित रखा है ताकि लोकसभा चुनाव में उनका इस्तेमाल हो सके। अयोध्या में राम मंदिर के मुद्दे को छोड़ भी दें तब भी कम से कम तीन ऐसे मुद्दे हैं, जिनका राजनीतिक इस्तेमाल अगले लोकसभा चुनाव में हो सकता है। इसमें समान नागरिक कानून यानी यूसीसी है तो साथ ही संशोधित नागरिकता कानून, सीएए और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी भी शामिल है।
गौरतलब है कि नागरिकता कानून में 2019 में ही संशोधन हुआ था। जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के बाद केंद्र सरकार ने नागरिकता कानून में संशोधन किया था और यह प्रावधान किया था कि पड़ोसी देशों से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आने वाले तमाम गैर मुस्लिम लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। संसद से पास होने के बाद संशोधित नागरिकता कानून यानी सीएए को राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद पूरे देश में इस कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। दिल्ली के शाहीन बाग में तो कई महीने तक प्रदर्शन चलता रहा। कोरोना महामारी फैलने के बाद ही शाहीन बाग और देश के दूसरे हिस्सों में चल रहे प्रदर्शन समाप्त हुए।
इन सबको बावजूद पिछले चार साल में कानून लागू नहीं हुआ। असम की चिंता में सरकार इसे टालती रही। हर बार छह छह महीने के लिए इसे टाला जाता रहा और गृह मंत्रालय ने इसके नियम नहीं बनाए। अब केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्र ने कहा है कि मंत्रालय सीएए के नियम बना रहा है और अगले साल मार्च तक इसे लागू कर दिया जाएगा। सोचें, मार्च में लोकसभा चुनाव की घोषणा होनी है। उससे पहले अगर केंद्र सरकार सीएए के नियम बना कर लागू करती है और 2019 की तरह फिर उसका विरोध शुरू होता है तो वह कितना बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनेगा? इसके साथ ही केंद्र सरकार राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी भी लागू करने का फैसला कर सकती है क्योंकि भाजपा के नेता सभी पूर्वी और पूर्वोत्तर के राज्यों में एनआरसी लागू करने और घुसपैठियों को निकालने का वादा कर रहे हैं।
बहरहाल, सीएए और एनआरसी के साथ साथ यूसीसी यानी समान नागरिक कानून भी अगले कुछ दिन में लागू हो सकता है। सबसे पहले उत्तराखंड सरकार इसे लागू करने की तैयारी में है। बताया जा रहा है कि अगले एक हफ्ते में जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की कमेटी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगी और सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुला कर सरकार उसे लागू कर देगी। उत्तराखंड के मसौदे को ही पूरे देश के लिए भी कानून बना कर लागू किया जा सकता है। अगर दिसंबर में उत्तराखंड में यह कानून लागू हो जाता है तो अगले साल के शुरू में इसे पूरे देश में लागू किए जाने या ज्यादा से ज्यादा भाजपा शासित राज्यों में लागू किया जा सकता है।