Homeदेशतो क्या नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव लड़ेंगे ?

तो क्या नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव लड़ेंगे ?

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अखिलेश अखिल

जिस तरह के राजनीतिक हालत देश में बनते जा रहे हैं उससे साफ कहा जा सकता है कि आगामी लोकसभा चुनाव में इस बीजेपी के साथ विपक्ष की भड़ी भिड़ंत होगी। बीजेपी भी इस बात को जान रही है और अब वह नए समीकरण पर भी काम कर रही है। बीजेपी को भी पता ही कि अयोध्या ,कशी और मथुरा की धार्मिक कहानी से जनता ऊब चुकी है। बीजेपी यह भी जानती है कि विदेशों में पीएम मोदी के हो रहे सम्मान से भले ही पार्टी के लोगों में उत्साह बढ़ता हो लेकिन देश के लोगों का इससे कोई लेना देना नहीं। बीजेपी के लोग और बीजेपी के अंधभक्त ही इस खेल पर थाली पीट सकते हैं ,लेकिन इससे चुनाव नहीं जीता जा सकता। यह बात और है कि अगले साल की शुरुआत में जब अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन होगा तो देश के भीतर हिंदूवादी शक्तियां एक बार फिर से हिंदूवादी राजनीति को साधने के लिए भगवन श्रीराम के नाम का जाप घर घर तक पहुंचाने का प्रयास करेगी लेकिन बीजेपी को यह भी पता है कि केवल इसी खेल से ही बेरा पर नहीं लगेगा। खेल कुछ और ही करना होगा लेकिन बीजेपी के पास कोई और खेल का दायरा ही अब बहुत कम बचा है।
लेकिन असली सवाल यही है कि क्या नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव लड़ेंगे ?या राज्य सभा में जायेंगे या सिर्फ विपक्ष के संयोजक ही बने रहेंगे ?कुमार को लेकर कई और सवाल भी उठाये जा सकते हैं।
जदयू के कई लोग यह कह रहे हैं कि नीतीश कुमार इस बार चुनाव लड़ेंगे और नालंदा से लड़ेंगे। हालांकि यूपी के फूलपुर से भी उनके चुनव लड़ने की बात कही जा रही है। लेकिन फूलपुर की कहानी अखिलेश यादव से जुडी है। अगर अखिलेश यदव और कांग्रेस ऐसा चाहेगी तो नीतीश कुमार फूलपुर से भी चुनाव लड़ सकते हैं। जहां तक नालंदा की बात है यह सीट भी अभी जदयू के पास ही है और नीतीश कुमर यहाँ से  सांसद भी रह चुके हैं। कुशलेन्द्र कुमार अभी नालन्द से सांसद है और वे यह सीट कुमार के लिए छोड़ भी सकते हैं। नालंदा नीतीश कुमार के स्वजातीय वोट का इलाका है।
उधर ,नीतीश कुमार अब बिहार की राजनीति को तेजस्वी के हवाले भी करने की बात कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि बिहार का अगला चुनाव तेजस्वी के नेतृत्व में ही लगा जाएगा। जाहिर अब नीतीश कुमार अब राष्ट्रीय राजनीति ही करेंगे। और ऐसा करेंगे तो उन्हें लोकसभ चुनाव लड़ना ही होगा।
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में है फूलपुर। इस सीट से भी नीतीश कुमार के चुनाव लड़ने की चर्चा तब छिड़ी थी, जब उन्होंने एनडीए छोड़ महागठबंधन का नेतृत्व कबूल किया था। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने कहा था कि फूलपुर के लोग भी चाहेंगे कि नीतीश वहां से चुनाव लड़ें। उसके बाद ही यह चर्चा गर्म हुई थी। हालांकि नीतीश कुमार ने इस पर भी विराम लगा दिया था। फूलपुर का सामाजिक समीकरण नीतीश कुमार के अनकूल माना जाता है। फूलपुर सीट से कभी देश के प्रधानमंत्री रहे जवाहर लाल नेहरू जीतते थे। इलाहाबाद की फूलपुर संसदीय सीट से 1952 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीतकर देश के प्रधानमंत्री बने थे जवाहर लाल नेहरू।

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