Homeदेशचार साल गुजर गए और लोकसभा उपाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हुई !

चार साल गुजर गए और लोकसभा उपाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हुई !

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अखिलेश अखिल
मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल लगभग चार साल गुजर गए हैं लेकिन अभी तक लोकसभा उपाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की गई। लोकसभा के पास स्पीकर तो है लेकिन डिप्टी स्पीकर सभा को आज तक नहीं मिला। करीब आधा दर्जन से ज्यादा पीठासीन अधिकारियों के पैनल से लोकसभा चल रहा है। इससे से पहले ऐसा कभी नहीं देखा गया। सरकार कहती है कि इस डिप्टी स्पीकर के लिए कोई सूटेबल उम्मीदवार नहीं मिल रहा है। जब उम्मीदवार मिलेगा ,उपाध्यक्ष की नियुक्ति हो जाएगी। सत्रहवीं लोकसभा का यह सच इतिहास के पन्नो में दर्ज रहेगा संसदीय इतिहास का साक्षी भी। दरअसल लोकसभा में उपाध्यक्ष का पद हमेशा विपक्ष से चुने जानी की परम्परा रही है। लेकिन बीजेपी को विपक्ष की जरूरत ही नहीं। बीजेपी आज भी कांग्रेस को विपक्ष के लायक मानती नहीं और कोई दूसरी पार्टी उपाध्यक्ष के लिए आगे आ नहीं सकती।

विपक्ष से उपाध्यक्ष बनने की परंपरा

आमतौर पर लोकसभा के गठन के तीन महीने के अंदर उपाध्यक्ष की नियुक्ति हो जाती है। इस बार करीब चार साल तक नहीं हुई है। पिछली लोकसभा में अन्ना डीएमके नेता टीआर बालू को उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। उससे पहले यूपीए की पहली सरकार में अकाली दल के नेता चरणजीत सिंह अटवाल लोकसभा में डिप्टी स्पीकर बने थे तो दूसरी सरकार में भाजपा के कड़िया मुंडा को उपाध्यक्ष बनाया गया था। इस बार कहा जा रहा है कि सूटेबल उम्मीदवार नहीं मिलने की वजह से उपाध्यक्ष नियुक्त नहीं हुआ है।

खेल यही है कि सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस को उपाध्यक्ष का पद नहीं देना है। उसके बाद दूसरे और तीसरे नंबर की पार्टियों तृणमूल कांग्रेस और डीएमके को भी नहीं देना है। जदयू अब एनडीए से बाहर है और राज्यसभा में उसके नेता को उप सभापति बनाया गया है। अन्ना डीएमके का सिर्फ एक ही सांसद है और वह भी पहली बार जीता हुआ। सो, ले देकर बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस का विकल्प बचता है पर इन दोनों पार्टियां यह पद नहीं चाहती हैं। इनके अलावा शिव सेना से अलग हुए गुट का एक नया विकल्प बना है।

बताया जा रहा है कि आखिरी साल में उपाध्यक्ष की नियुक्ति हो सकती है। इसका एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि मौजूदा लोकसभा स्पीकर ओम बिरला राजस्थान में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि अगर राज्य में भाजपा की सरकार बनती है तो बिरला मुख्यमंत्री हो सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो उस समय उपाध्यक्ष की जरूरत महसूस होगी। तभी कहा जा रहा है कि पहले ही उपाध्यक्ष नियुक्त हो सकता है। अगर आखिरी साल में उपाध्यक्ष की नियुक्ति होती है तो बिरला के राजस्थान जाने की संभावना पक्की मानी जाएगी।

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