न्यूज डेस्क
हिंदू परंपरा के अनुसार नया साल चैत्र मास में शुरू होता है। हिंदू परंपरा में नव संवत्सर को नववर्ष के रूप में मनाते हैं। ब्रह्मांण पुराण के अनुसार, जब विष्णु जी ने सृष्टि की रचना का कार्य ब्रह्मा जी को सौंप दिया तो ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की। जिस दिन उन्होंने सृष्टि की रचना की तो वह दिन चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि थी। इसलिए इस दिन धार्मिक कार्यों को करना बेहद शुभ माना गया है। साथ ही इस दिन से चैत्र नवरात्र भी प्रारंभ हो रहे हैं, जिसमें आदि शक्ति के नौ रूपों की पूजा करने का विधान है। नए साल के दिन सबसे पहले भगवान गणेश का पूजन किया जाता है और फिर सभी देवी-देवताओं का पूजन होता है। फिर कलश स्थापना के साथ नवरात्र की शुरुआत की जाती है।
पंचांग के अनुसार, आने वाला नया हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2081 होगा। उसे विक्रम सम्वत 2081 पिङ्गल के नाम से जाना जाएगा। शक संवत के आधार पर यह शक संवत 1946 क्रोधी है। जिस तरह अंग्रेजी कैलेंडर में हर एक महीने का नाम होता है, उसी तरह पंचांग के अनुसार हर वर्ष का भी नाम होता है। ज्योतिष काल गणना के अनुसार हर वर्ष का नाम रखा जाता है। इस वर्ष का नाम कालयुक्त है और इसके राजा मंगल और मंत्री शनि ग्रह है। बाकी के ग्रह इस वर्ष के मंत्रिमंडल के सदस्य माने जाएंगे।
कैसे मनाया जाता है हिंदू नववर्ष?
हिंदू परंपरा के अनुसार, नव वर्ष यानी नव संवत्सर की पूजा की जाती है। नव वर्ष के दिन प्रथम पूज्यनीय भगवान श्री गणेश, सृष्टि के सभी प्रमुख देवी-देवताओं, वेद शास्त्र और पंचांग की पूजा आदि कर नए साल का स्वागत किया जाता है।
हिंदू पंचांग यानी कैलेंडर की शुरुआत?
ऐसा माना जाता है की उज्जेन के राजा विक्रमादित्य ने लगभग 2000 साल पहले विक्रम संवत शुरू किया था। हिंदू सभ्यता के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को महत्व देते हुए विक्रमादित्य ने इस पंचांग को पूरे भारत में सभी लोगों तक पहुंचाया था।
हिंदी कैलेंडर के 12 महीनों के नाम
हिंदू नववर्ष का पहला महीना चैत्र होता है। हिंदी कैलेंडर चैत्र माह से शुरू होकर फाल्गुन माह तक चलता है। इसमें 12 माह आते हैं।
1. चैत्र
2. वैशाख
3. ज्येष्ठ
4. आषाढ़
5. सावन या श्रावण
6. भादो या भाद्रपद
7. आश्विन या क्वार
8. कार्तिक
9. अगहन या मार्गशीर्ष
10. पौष
11. माघ
12. फाल्गुन