विकास कुमार पाकिस्तान में भी माता का एक प्रसिद्ध मंदिर है। जी हां हिंगलाज माता मंदिर बलूचिस्तान में हिंगोल नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर बलूचिस्तान के लसबेला कस्बे में स्थित है। इक्यावन शक्तिपीठों में से एक इस मंदिर में मुस्लिम भी श्रद्धा से सिर झुकाते हैं। हिंदू इसे माता का स्थान कहते हैं।
वहीं मुस्लिम इसे ‘बीबी नानी पीर’ या ‘नानी का हज’ के नाम से जानते हैं। इस अति प्राचीन मंदिर से हिन्दू-मुस्लिम दोनों की ही आस्था जुड़ी हुई है। बताया जाता है कि एक सुंदर गुफा में बना ये मंदिर दो हजार साल से भी अधिक पुराना है। यह मंदिर पहाड़ी इलाके में एक संकीर्ण घाटी के अंदर एक गुफा में बनाया गया है।
कराची से ढ़ाई सौ किमी दूर है मंदिर
यह मंदिर कराची से ढ़ाई सौ किलोमीटर की दूरी पर है। हिंगोल नदी के तट पर एक छोटी प्राकृतिक गुफा में एक मिट्टी की वेदी बनी हुई है। इस मनोरम गुफा में गणेश जी, माता काली, गुरु गोरख नाथ आदि की मूर्तियां स्थापित हैं। हिंगलाज मंदिर की यात्रा बाबा अमरनाथ की यात्रा से भी ज्यादा कठिन है। ऊंचे पहाड़, दूर तक फैले सुनसान रेगिस्तान और घने जंगल से यात्रियों को गुजरना पड़ता है। रास्ते में सुरक्षा का भी कोई इंतजाम नहीं होता है।
यात्रा में लोग तीस से चालीस लोगों का ग्रुप बनाकर ही चलते हैं। अकेले हिंगलाज मंदिर की यात्रा करने पर रोक लगी हुई है। यात्री 4 पड़ाव और पचपन किलोमीटर की पैदल यात्रा करके हिंगलाज माता के दरबार में पहुंचते हैं। साल 2007 से पहले तक हिंगलाज पहुंचने के लिए दो सौ किलोमीटर पैदल चलना होता था। इस यात्रा में दो से तीन महीने का समय लग जाता था। इस यात्रा की शुरूआत हाव नदी से होती है।
यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को लेनी होती हैं दो शपथ
हिंगलाज मंदिर की यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों को दो तरह की शपथ लेनी पड़ती है। पहली शपथ यात्रा के दौरान सन्यास ग्रहण करने की होती है। दूसरी शपथ ये होती है कि पूरी यात्रा में कोई भी सहयात्री को अपनी सुराही का पानी नहीं देगा। भले ही वह प्यास से तड़प कर वीराने में मर जाए। इन दोनों शपथ को पूरा न करने वाले की हिंगलाज यात्रा पूर्ण नहीं मानी जाती है। हिंगलाज जाने वाले तीर्थयात्रियों को पीने के पानी के लिए अपनी सुराही ले जानी पड़ती है। एक यात्री की सुराही का पानी दूसरा यात्री नहीं पी सकता।चाहे वह मां बेटा ही क्यों ना हो।
मुस्लिम भी करते हैं माता की सेवा
हिंगलाज मंदिर की खास बात ये है कि यहां मुस्लिम भी खुले मन से सेवाभाव करते हैं। पाकिस्तान के मुस्लिम समाज के लोग भी यहां की यात्रा करते हैं। इस पवित्र स्थान को मुस्लिम समाज के लोग नानी का हज भी कहते हैं। माता हिंगलाज की यात्रा के लिए भारत से भी श्रद्धालु जाते हैं। नवरात्रि के दौरान तो यहां पूरे नौ दिनों तक शक्ति की उपासना का आयोजन होता है। लाखों सिंधी हिन्दू श्रद्धालु यहां माता के दर्शन के लिए आते हैं। भारत से भी हर साल एक दल यहां दर्शन के लिए जाता हैं एक बार आप भी माता हिंगलाज का दर्शन करें। आपकी सारी मनोकामना पूरी हो जाएंगी।