न्यूज डेस्क
हमारे सनातन धर्म में चैत्र नवरात्र की बहुत मान्यता है। चैत्र नवरात्रि 22 मार्च दिन बुधवार से शुरू होने जा रही है। इसी के साथ ही पिंगल नामक संवत भी शुरू हो जाएगा। इस साल चैत्र नवरात्रि पर माता का वाहन नाव होगी, जो इस बात का संकेत है इस साल खूब वर्षा होगी। पूरे साल चार नवरात्रि आती है, जिनमें आश्विन और चैत्र मास की नवरात्रि सबसे ज्यादा समाज में प्रचलित है। कहा जाता है कि सतयुग में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और प्रचलित चैत्र नवरात्रि थी, इसी दिन से युग का आरंभ भी माना जाता है। इसलिए संवत का आरंभ में चैत्र नवरात्रि से ही होता है।
नौ दिनों तक चलने वाले इस नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा से करने के साथ व्रत रखने का विधान है। नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि के दिनों में कई भक्त नौ दिनों तक अखंड ज्योति भी जलाने के साथ कलश स्थापना करते हैं। माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान पूजा करने और व्रत रखने से मां दुर्गा हर कष्ट को हर लेती हैं और सुख-समृद्धि, धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। जानिए चैत्र नवरात्रि का शुभ मुहूर्त सहित सभी तिथियां।
चैत्र नवरात्रि 2023 कलश स्थापना मुहूर्त
22 मार्च को सुबह 6 बजकर 23 मिनट से 7 बजकर 32 मिनट तक
चैत्र नवरात्रि 2023 की तिथियां | Navratri Date 2023
- चैत्र नवरात्रि पहला व्रत मां शैलपुक्षी कू पूजा, घटस्थापना – 22 मार्च 2023
- चैत्र नवरात्रि दूसरा व्रत मां ब्रह्मचारिणी की पूजा – 23 मार्च 2023
- चैत्र नवरात्रि तीसरा व्रत मां चंद्रघंटा की पूजा – 24 मार्च 2023
- चैत्र नवरात्रि चौथा व्रत मां कूष्मांडा की पूजा – 25 मार्च 2023
- चैत्र नवरात्रि पांचवा व्रत मां स्कंदमाता की पूजा – 26 मार्च 2023
- चैत्र नवरात्रि छठा व्रत मां कात्यायनी की की पूजा – 27 मार्च 2023
- चैत्र नवरात्रि सातवां व्रत मां कालरात्रि की पूजा की की पूजा – 28 मार्च 2023
- चैत्र नवरात्रि आठवां व्रत मां महागौरी की पूजा की की पूजा – 29 मार्च 2023
- चैत्र नवरात्रि नवमी व्रत मां महागौरी की पूजा की की पूजा – 30 मार्च 2023, राम नवमी तिथि
नवरात्रि व्रत पारण 31 मार्च 2023
नवरात्रि पूजन विधान | Navratra Pujan Vidhi
नवरात्रि में माता दुर्गा की पूजा करने का सबसे पहला नियम है कि साफ सफाई पूरी रखी जाए, साथ ही हृदय भी स्वच्छ होना चाहिए। नवरात्रि का व्रत रखने वालों को सुबह जल्दी उठना चाहिए। सुबह उठ कर स्नान करना चाहिए। इसके बाद घर के पूजन स्थल को गंगाजल डालकर शुद्ध करने की भी मान्यता है। गंगाजल न हो तो पानी से भी सफाई कर सकते हैं। जैसे ही पूजा शुरू करें सबसे पहले एक दीप जलाएं। इसके बाद मां दुर्गा को गंगाजल अर्पित करें। गंगाजल से अभिषेक के बाद अक्षत, सिंदूर, लाल रंग के फूल माता के सामने अर्पित करें। माता को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद में फल और मिठाई रख सकते हैं। जिन भक्तों के पास समय हो वो पूजा करते हुए दुर्गा चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं। इसके बाद प्रसाद अर्पित कर सबको प्रसाद बांट दें।
पूजा सामग्री | Puja Samagri
नवरात्रि में माता दुर्गा की आराधना के लिए कुछ विशेष सामग्रियों की आवश्यकता पड़ती है।
- लाल चुनरी
- लाल वस्त्र
- मौली
- श्रृंगार का सामान
- दीपक
- घी
- धूप
- नारियल
- अक्षत
- कुमकुम
- लाल फूल
- माता की प्रतिमा
- पान और सुपारी
- लौंग
- इलायची
- बताशे या मिश्री
- कपूर
- फल
- मिठाई
- कलावा