नई दिल्ली: डॉलर के मुकाबले रुपया एक बार फिर कमजोर हो गया है। एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 61 पैसे बढ़कर पहली बार 83 के ऊपर 83.01 पर जा पहुंची है। आगे और कमजोर होने की उम्मीद है। बता दें, पिछले महीने US Fed ने ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी की थी, जिसका असर भारतीय शेयर मार्केट से लेकर रुपये पर देखने को मिल रहा है। रुपये में गिरावट से एक ओर जहां व्यापार घाटा बढ़ेगा वहीं दूसरी ओर जरूरी सामान के दाम में बढ़ोतरी होगी।
वैश्विक स्तर पर सभी मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर मजबूत
वैश्विक स्तर पर सभी प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर और मजबूत हुआ जिसका असर रूपए पर भी पड़ा। खाद्य कीमतों में वृद्धि के कारण ब्रिटेन में मुद्रास्फीति पिछले महीने 40 साल के उच्च स्तर पर पहुंचने से डॉलर में तेजी आई है। ऐसी अटकलें हैं कि बैंक ऑफ इंग्लैंड कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए ब्याज दरों में जल्द से जल्द बढ़ोतरी कर सकता है।
रुपये में गिरावट के बजाय अमेरिकी डॉलर मजबूत: सीतारमण
पिछले हफ्ते रुपये की गिरावट पर टिप्पणी करते हुए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वाशिंगटन में कहा था कि वो इसे रुपये में गिरावट के बजाय अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने के रूप में देखती हैं।
क्या होगा रुपये में कमजोरी का असर
भारत तेल से लेकर जरूरी इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी के साथ मोबाइल-लैपटॉप समेत अन्य गैजेट्स आयात करता है। रुपया कमजोर होने के कारण इन वस्तुओं के आयात पर अधिक रकम चुकानी पड़ रही है। इसके चलते भारतीय बाजार में इन वस्तुओं की कीमत में बढ़ोतरी हो रही है। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। इसका भुगतान भी डॉलर में होता है और डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च होगा। इससे माल ढुलाई महंगी होगी, इसके असर से हर जरूरत की चीज पर महंगाई की और मार पड़ेगी।