केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि बुधवार को नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के प्रावधानों को मंजूरी दे दी. सरकार ने प्रोजेक्ट्स के इंप्लीटेशन के लिए 19744 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. ठाकुर ने बताया कि एलोकेटिड अमाउंट में से 17,490 करोड़ रुपये स्ट्रैटिजिक इंटरवेंशंस के लिए आवंटित किया गया है. पायलट प्रोजेक्ट के लिए 1,466 करोड़ रुपये का उपयोग किया जाएगा. आरएंडडी कंपोनेंट से 800 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त होने की संभावना है.
बनाया जाएगा ग्रीन हाइड्रोजन हब
उन्होंने कहा कि खरीदारों और उत्पादकों को एक छत के नीचे लाने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन हब विकसित किया जाएगा. मिशन के तहत 2030 तक प्रतिवर्ष 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाएगा. देश में इलेक्ट्रोलाइजर बनाने पर भी पांच साल तक प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. ठाकुर ने बताया कि मिशन का उपयोग पीएम गति शक्ति योजना के तहत इंफ्रस्टक्चर के डेवलपमेंट के लिए किया जाएगा.
2021 को लाल किले से की थी घोषणा
2021 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन शुरू करने की घोषणा की थी. मिशन का उद्देश्य हरित हाइड्रोजन निर्माण के लिए प्रत्यक्ष प्रोत्साहन प्रदान करना है और ग्रीन एनर्जी सॉर्सेज से हाइड्रोजन जेनरेट करना है. यह भारत को हाइड्रोजन के निर्माण के लिए एक ग्लोबल सेंटर के रूप में विकसित करने की दिशा में केंद्रित है. मार्च 2022 को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में, सरकार ने कहा था कि मिशन शॉर्ट टर्म (चार वर्ष) के लिए स्पेसिफिक स्ट्रैटिजी और इसके ब्रोड स्ट्रोक प्रिंसीपल्स को लंबी अवधि (10 वर्ष और उससे अधिक) के लिए सामने रखेगा.
