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युवाओं के समय और पैसे को बर्बाद कर रहा है फैंटेसी गेमिंग एप, माई टीम 11 और ड्रीम 11 को लेकर संसद में उठ चुके हैं सवाल

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न्यूज डेस्क
फैंटेसी गेमिंग की वजह से देश के करोड़ों लोगों के पैसे और समय की बर्बादी हो रही है। अब आपके मन में ये सवाल जरुर उठा होगा कि फैंटेसी गेमिंग है क्या। माई टीम एलेवन,ड्रीम एलेवन,एमपीएल,माई एलेवन सर्किल,बल्लेबाजी,गेम्जी जैसे एप को फैंटेसी गेमिंग कहते हैं। आज भारत में सात करोड़ से ज्यादा यूजर्स फैंटेसी गेम्स खेल रहे हैं। कई बड़े स्टार भी इन फैंटेसी गेमिंग एप का प्रचार कर रहे हैं। इससे दिन दूना रात चौगुना गति से फैंटेसी गेमिंग एप के यूजर्स की संख्या में इजाफा हो रहा है। लेकिन समझने वाली बात ये है कि इन फैंटेसी गेमिंग एप के जरिए करोड़ों लोगों को मूर्ख बनाया जा रहा है।

कैसे होता है लोगों को नुकसान

फैंटेसी यानी आभासी गेम में आपको ऑनलाइन टीम बनानी होती है। आप फ्री एंट्री या पैसे वाले कॉन्टेस्ट में भाग ले सकते हैं। वैसे तो पैसे लगाकर दांव लगाना सट्टेबाजी माना जाता है, लेकिन इन पर यह कानून लागू नहीं होता। करोड़ों लोगों को करोड़पति बनाने का सपना दिखाकर गेम खेलने के लिए प्रेरित किया जाता है। लेकिन अपने चुने हुए लोगों को ही विजेता बनाया जाता है।बाकी करोड़ों लोगों के पैसे और समय की बर्बादी होती है।

अगर बात माई टीम एलेवन फैंटेसी गेमिंग एप की करें तो इसके एक करोड़ 80 लाख यूजर हैं। माई टीम एलेवन एप ये दावा करता है कि वह हर दिन पांच करोड़ प्लस ईनाम के तौर पर बांट देता है। इस लिहाज से हर महीने इस गेमिंग एप से डेढ़ सौ करोड़ रुपए के पुरस्कार बांटे जाते हैं। लेकिन एक करोड़ रुपए जीतने वाले लोगों के नाम भी इक्का दुक्का ही सामने आते हैं। अगर इतने बड़े पैमाने पर माई टीम एलेवन से पुरस्कार दिए जा रहे हैं। तो आखिर एक महीने में जीतने वालों की पूरी लिस्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की जाती है। विनित गोदारा और संजीत सिहाग ने मिलकर इस फैंटेसी गेमिंग एप को लॉंच किया है। दोनों के तरफ से किए जा रहे दावे और हकीकत में बड़ा अंतर नजर आता है।

आखिर किन तरीके से ये फैंटेसी गेमिंग एप लोगों को बनाते हैं उल्लू

  • करोंड़ों लोग हर रोज लगाते हैं पैसा
  • युवा पढ़ाई छोड़कर खेलते रहते हैं गेम
  • सौ से डेढ़ सौ रुपए ही कमा पाते हैं अधिकतर लोग
  • पूरे दिन कोई दूसरा काम नहीं कर पाते हैं यूजर्स
  • एक सौ रुपए कमाने में पूरा दिन होता है बर्बाद
  • ऑनलाइन सट्टेबाजी का एक तरीका है फैंटेसी गेमिंग एप
  • कॉन्टेस्ट एंड टाइम पर जाकर हो जाते हैं फूल?
  • फैंटेसी गेमिंग एप कभी भी उतार देती है अपनी टीम
  • अपनी टीम को ही विजेता बना देती है फैंटेसी गेमिंग एप
  • फैंटेसी गेमिंग एप के पास ही लौट जाता है सारा पैसा
  • कॉन्टेस्ट एंड टाइम पर जाकर हो जाते हैं फूल?
  • खिलाड़ियों को विज्ञापन के लिए दिया जाता है पैसा
  • आजकल युवाओं का कैरियर हो रहा है बर्बाद
  • बार-बार हारने से युवा डिप्रेशन का हो रहा है शिकार
  • चुनिंदा लोगों को जीताकर दूसरों को किया जाता है मोटिवेट
  • गेमिंग एप का डाटा जब चाहे बदल सकता है एडमिन

इसी तरह की गड़बड़ियों को देखकर कई राज्यों ने फैंटेसी गेमिंग पर रोक लगा रखी है। असम, ओडिशा, सिक्किम, नागालैंड और तेलंगाना के निवासी फैंटेसी गेम्स नहीं खेल सकते हैं। स्पोर्ट्स गेमिंग ऐप ड्रीम-एलेवन ने कर्नाटक में अपनी सेवाएं बंद कर दी है। ड्रीम-एलेवन कंपनी के को-फाउंडर हर्ष जैन और भावित सेठ के खिलाफ कर्नाटक में एफआईआर तक दर्ज की गई है। एक कैब ड्राइवर मंजूनाथ ने बेंगलुरु पुलिस को ड्रीम- एलेवन ऐप को लेकर शिकायत की थी। ड्रीम-एलेवन कंपनी के खिलाफ एफआईआर बेंगलुरु के अन्नपूर्णेश्वरी नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई है।

संसद में भी फैंटेसी गेम्स की वैधता का मामला उठ चुका है। मंदसौर से बीजेपी सांसद सुधीर गुप्ता ने भी ऑनलाइन बेटिंग वेबसाइट्स को लेकर सरकार से सवाल पूछे हैं। उन्होंने इस तरह के फैंटेसी गेमिंग एप पर रोक लगाने को लेकर सरकार से सवाल पूछा था। फरवरी 2019 में टीआरएस सांसद ए पी जितेंदर रेड्डी ने भी फैंटेसी और ऑनलाइन गेमिंग की वैधता को लेकर कई सवाल पूछे थे। इस पर केंद्र सरकार में तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री पी राधाकृष्णन ने जवाब दिया था। उन्होंने कहा था कि इस मामले पर कानून बनाने का अधिकार राज्य सरकारों को है।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर भी स्पोर्ट्स (ऑनलाइन गेमिंग और धोखाधड़ी की रोकथाम) के लिए प्राइवेट मेंबर बिल पेश कर चुके हैं। थरुर का कहना है कि सट्टेबाजी भले ही राज्य का विषय है।लेकिन ऑनलाइन गेमिंग संसद के अधिकार क्षेत्र में आती है।

भारत के युवा वर्ग को अंधेरे में धकेलने में सारे फैंटेसी गेमिंग एप लगे हुए हैं। शहरी हो या ग्रामीण इलाके के युवा करोड़पति बनने के चक्कर में हर रोज अपना पैसा और समय गंवा रहे हैं। ऐसे में इस धोखाधड़ी पर रोक लगाने का वक्त आ गया है।

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