अखिलेश अखिल
ग्लोबल राजनीति में चीन अभी भारत का सबसे बड़ा शत्रु बनता जा रहा है। चीन की यह शत्रुता उसकी विस्तारवादी भू राजनीति से जुडी है। रविवार को अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर में जी -20 की बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में 50 से ज्यादा देशो के प्रतिनिधि उपस्थित हुए लेकिन चीन ने इस बैठक का बहिष्कार किया। उसने अपने किसी प्रतिनिधि को इस बैठक में नहीं भेजा। कहा जा रहा है कि चीन अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा नहीं मानता। वह इस इलाके को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा अब तक मानता रहा है। चीन की जी -20 की बैठक से दूर रहने की नीति को सांकेतिक विरोध के तौर पर देखा जा रहा है।
हालांकि चीन भारत के जी -20 अध्यक्षता को समर्थन देते आया है और पिछली बैठकों में चीन की उपस्थिति भी रही है। विदेश मंत्रियों की सामूहिक बैठक में भी चीन की उपस्थिति रही है लेकिन अरुणाचल प्रदेश की बैठक से चीन का अलग रहना बहुत कुछ संकेत देते हैं। दरअसल चीन लम्बे समय से अरुणाचल को भारत का हिस्सा नहीं मानता। वह कहता है कि यह इलाका चीन का हिंसा है और वर्तमान में यह दक्षिण तिब्बत में अत है। यही वजह है कि अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर चीन बार -बार हरकत करता दिखता है और तनाव भी पैदा करता है। यह बात और है कि भारत चीन की हर हरकतों का जवाब देता है और चीनी सेना को पीछे जाने के लिए विवश भी करता है भारत। लेकिन सच तो यही है कि अरुणाचल को लेकर चीन के इरादे ठीक नहीं है। जाहिर सी बात है कि भारत को हमेशा सतर्क रहने की जरूरत है।
चीन अब पाकिस्तान के साथ मिलकर जी -20 की श्रीनगर बैठक का भी विरोध करने की तैयारी में है। चीन की कोशिश है कि श्रीनगर बैठक का विरोध करके भारत के इस इलाके को भी डिस्प्यूटेड घोषित किया जाए। बता दें कि इस साल भारत जी -20 की अध्यक्षता कर रहा है। भारत इस आयोजन को देश के हर इलाके में करा रही है। जानकारी के मुताबिक़ देश के 28 राज्य और आठ केंद्र शासित प्रदेशो में जी 20 की बैठक लगातार होनी है और इसकी तयारी भी चल रही है। भारत का मकसद सिर्फ यही है कि दुनिया को भारत की संस्कृति की जानकारी जी 20 के सभी देशो तक पहुंचे।
जम्मू कश्मीर में जी 20 की बैठक मई में होने की सम्भावना है लेकिन चीन पकिस्तान के साथ मिलकर इस बैठक के खिलाफ करता जा रहा है। चीन अभी तो अरुणाचल की बैठक से अपने को दूर रखा और अब श्रीनगर की बैठक से पकिस्तान को दूर रहने के लिए दबाव बना रहा है ताकि भारत पर सीमा विवाद का दवाब बना रहे। खबर यह भी है कि श्रीनगर की बैठक से दूर रहने के लिए चीन पकिस्तान के साथ ही तुर्की और सऊदी अरब पर भी दवाब बनाये हुए है। बता दें कि ये देश अभी चीन के ज्यादा करीब आ गए हैं। और ये सभी देश पकिस्तान के साथ खड़े दीखते हैं।
पकिस्तान जम्मू कश्मीर में जी 20 बैठक के किसी भी प्रस्ताव को अन्तर्राष्ट्रीय वैधता हासिल करने के लिए भारतीय प्रयास के रूप में देखता है। उसने पिछले साल कहा था कि जी 20 के सदस्य देशों को विवादित हिस्सों में कानून और न्याय की अनिवार्यताओ के बारे में पूरी तरह से अवगत होना चाहिए। इस कड़ी में उन्हें श्रीनगर में प्रस्तावित बैठक को सिरे से ख़ारिज कर देना चाहिए।