अखिलेश अखिल
”नीरव मोदी घोटाला- 14,000 Cr ललित मोदी घोटाला- 425 Cr मेहुल चोकसी घोटाला- 13,500 Cr जिन लोगों ने देश का पैसा लूटा, भाजपा उनके बचाव में क्यों उतरी है? जांच से क्यों भाग रही है? जो लोग इस पर सवाल उठा रहे हैं उन पर मुकदमे लादे जाते हैं। क्या भाजपा भ्रष्टाचारियों का समर्थन करती है?” ये है प्रियंका गाँधी के ट्वीट ,जो उन्होंने राहुल गाँधी की सदस्यता रद्द होने के बाद किया था।
इस ट्वीट में कोई नई बात नहीं है। लेकिन आज के माहौल में इस ट्वीट की महत्ता यही है कि मोदी सरकार इस घोटाले पर आज तक कोई एक्शन क्यों नहीं लेते ? बीजेपी बहुत कुछ कहती है और खुद पीएम मोदी भी कहते कि उनकी दुनिया में धाक है ,भारत विश्व गुरु बन गया है तो देश छोड़कर भागे अपराधियों को सरकार वापस क्यों नहीं लाती और लूट के पैसे को बरामद क्यों नहीं करती ? क्या यह सवाल नाजायज है ?
अभी जो संसद में गतिरोध चल रहा था उसमे भी विपक्षी पार्टियां अडानी से जुड़े घपले -घोटाले की जांच जेपीसी से कराने की ही मांग कर रही है। आखिर इस मांग में अनुचित क्या है ? अगर विपक्ष को लगता है कि अडानी ने देश के साथ ,इकॉनमी के साथ और शेयर बाजार के साथ ही बैंक और एलआईसी धोखेबाजी की है तो जांच क्यों नहीं होनी चाहिए ? आखिर सरकार का कर्त्तव्य क्या है ? वह अडानी के प्रति बफादार है या फिर देश की जनता के प्रति ? बीजेपी को चुनाव के दौरान करीब 35 से 38 फीसदी ही तो वोट मिलते हैं। बाकी वोट विपक्ष को ही जाता है। यानी हर चुनाव में 65 फीसदी जनता बीजेपी को वोट नहीं करती। बीजेपी को गले नहीं लगाती। बीजेपी की नियम और नीतियों में यकीन नहीं करती। तो क्या जो लोग बीजेपी के खिलाफ वोट देते हैं उनका सरकार से पूछने का कोई हक़ नहीं है ? क्या विपक्षी सांसदों का सवाल करना गुनाह है और राजनीति से प्रेरित है ?
संसद का क्या काम है ? और सरकार का क्या काम है यह हर कोई जानता है। देश की समस्यों पर बहस संसद में होती है। हम लोक कल्याणकारी अवधारणा को कैसे जीवंत रखे यह काम संसद के भीतर ही सांसद बहस से तय करते हैं और फिर जनता की मांग कैसे पूरी हो और जनता की समस्याएं कैसे खत्म की जाए इसके लिए सरकार कदम उठाती है। देश की सीमा सुरक्षित रहे ,दुनिया के साथ हम बेहतर सम्बन्ध रख कर भारत को कैसे आगे बढाए इसी पर तो संसद में वाद -विवाद होता है ! फिर सरकार को ऐतराज किस बात की ?
क्या बीजेपी ने कभी भ्रष्टाचार के मसले पर कांग्रेस सरकार को नहीं घेरा था ? क्या कभी भ्रष्टाचार के मसले पर मंत्रियों की बर्खास्तगी नहीं हुई थी ? क्या भ्रष्टाचार के मसले पर सरकार नहीं गिरी थी ? क्या कभी जेपीसी की जांच संसद में नहीं हुई थी ? फिर अडानी के मसले पर जांच क्यों नहीं ? अगर देश के 65 फीसदी लोगो के सांसद जांच की मांग कर रहे हैं और सरकार जांच से भाग रही है तो इसका मतलब क्या निकाला जाए ? गलती उन सांसदों की यह है या सरकार की ?
मोदी सरकार ने बीती सालो में न जाने कितने कानून लाये। योजनाए शुरू की ,बहुत से भाषण दिए लेकिन आज उन नियम कानून और योजनाए कठघरे में है तो उसका जवाब कौन देगा ? क्या सरकार बता सकती है कि नोटबंदी के उनके दावे सही थे ? प्रधानमंत्री ने तो देश के लोगो से 50 दिन के समय मांगे थे और कहा था कि नोटबंदी का लाभ नहीं मिला तो देश की जनता जो चाहे करे ? इस देश की जनता ने यही किया कि बीजेपी को फिर से सत्ता में ले आयी। क्या चुनावी जीत ही किसी सरकार की सबसे बड़ी सफलता है ? क्या बीजेपी के लोग नहीं जानते कि चुनावी हार जीत झूठे खेल पर आधारित होते हैं। मूल समस्या पर चुनाव कभी नहीं जीते जाते।
इसी सरकार ने काला धन लाने की बात की थी। क्या बीजेपी इस बात से पलट सकती है ? लेकिन क्या हुआ ? सरकार ने सबको रोजगार देने की बात कही थी ,क्या संभव हो सका ? सरकार ने उद्योगों का जाल बिछाने की बात कही थी क्या कुछ हुआ ? पांच ट्रिलियन की रकोनोमय की बात हुई थी क्या संभव हुआ ? डॉलर की कीमत के मुकाबले रुपये की कीमत बढ़ाने की बात हुई थी ,कुछ हुआ ? पेट्रोल की कीमत कम करने ,महंगाई खत्म करने की बात की गई थी ,कुछ हुआ ? लेकिन एक सच यही है कि धर्म के नाम पर देश कई खेमो में बांटता गया और बीजेपी की जीत सुनिश्चित होती गई।
आगे क्या होगा कोई नहीं जानता। चुनाव सामने है। यह भी सच है कि बीजेपी की मजबूती के सामने आज भी नहीं है। बिखरा विपक्ष आगे भी बिखरेगा या फिर एक होगा कोई नहीं जानता। लेकिन हमारा लोकतंत्र बचा रहे यह हर कोई चाहता है। लोकतंत्र लोगो की चाहत है और इस चाहत में प्रेम और साधना है। चुनावी जीत चाहे किसी की होती रहे लेकिन लोकतंत्र पर आंच न आये इसकी बड़ी जिम्मेदारी तो पहले मौजूदा सरकार की ही है। उम्मीद की जा सकती है कि सरकार जागेगी और हमारा लोकतंत्र और भी मजबूत होगा जहां भ्रषचार का कोई खेल नहीं होगा।
