न्यूज़ डेस्क
समाज में समरसता बढे और छुआछूत ख़त्म करने के लिए संघ ने बड़े पैमाने का कार्यक्रम तैयार है। इस कार्यक्रम में दलित और मलिन बस्तियों में सामूहिक पूजन,शिव मंदिरों में जलाभिषेक और सफाई कर्मियों के साथ चाय पीने के साथ ही जलपान करने जैसे कार्यकम शामिल हैं। इस कार्यक्रम के जरिए संघ दलित और मलिन बस्तियों में अपनी पैठ बढ़ाने की तैयारी में है ताकि हिन्दू धर्म को मानने वाले एक छतरी के नीचे रहे। कहा जा रहा है कि इससे आने वाले समय में बीजेपी को चुनावी लाभ मिल सकता है।
संघ आगामी सावन महीने में गांवों और शहरों के शिव मंदिरों में दलितों के साथ जलाभिषेक कार्यक्रम का आयोजन करेगा। गांव में अगड़े, पिछड़े और दलित वर्ग के लोग एक साथ मिलकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करेंगे। हालांकि अभी मंदिरों में दलितों के साथ हवन पूजन का आयोजन किया जाता रहा है। बहराइच में बीते वर्ष दलित बस्तियों में लोगों ने एक समुदाय विशेष के प्रभाव में आने के बाद घर में लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति रखना बंद कर दिया था। इसकी सूचना पर संघ ने वहां दलितों के बीच जाकर अभियान चलाया, जिससे वह फिर से पूजा पाठ करने लगे। दरअसल संघ ऐसा वातावरण बनाने का प्रयास कर रहा है, जिससे गांव में किसी भी दलित दूल्हे को घोड़ी पर बैठने से न रोका जाए। उसकी बरात सामान्य वर्ग के परिवार के दूल्हे की तरह ही धूमधाम से निकले।
संघ की सोच है कि दलित वर्ग को सार्वजनिक कुएं से पानी भरने से रोकने की कुरीति भी खत्म की जाए। इसके लिए संघ के स्वयंसेवक लोगों को जागरूक करेंगे। जहां भी दिक्कत होगी, वहां समस्या का समाधान किया जाएगा। यही वजह है कि संघ वाल्मीकि, डॉ. भीमराव आंबेडकर और संत रविदास जयंती पर गांवों में कार्यक्रम कर समाज को जोड़ने का काम करेगा। आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में मिले एजेंडे के तहत संघ अब पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्र के सभी प्रांतों में इसे धरातल पर उतारने में जुट गया है।
संघ का मानना है कि जब घर में काम करने आने वाली महिला से चाय बनवा सकते हैं, तो उसके साथ बैठकर चाय क्यों नहीं पी सकते हैं। इस विचार को लेकर संघ लोगों के बीच जाएगा। लोगों से आग्रह करेगा कि सप्ताह में कम से कम एक दिन घर में काम करने वाले नौकर, नौकरानी के साथ बैठकर चाय-जलपान करें। उनके दुख तकलीफ की बात सुनें और उनका यथासंभव समाधान का प्रयास करें।