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अमित शाह से नीतीश कुमार की फोन पर बातचीत, तेजस्वी के मुख्यमंत्री बनने के सपने को कर सकता है चकनाचूर

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  • बीरेंद्र कुमार झा

पिछले वर्ष जब नीतीश कुमार ने बीजेपी से अपने पार्टी जेडीयू का गठबंधन तोड़ा तो दोनों ही पार्टी की तरफ से रिश्ते सदा सदा के लिए खत्म होने की बात नेताओं के द्वारा कई जाने लगी थी।खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी बीजेपी के साथ जाने का सवाल ही नहीं पैदा होता है, जैसी बातें कही थी। लेकिन जब आरजेडी कांग्रेस के साथ बने महागठबंधन में उन पर मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़कर इसे तेजस्वी का यादव को देने का दबाव बढ़ने लगा तो अब लगता है कि एक बार वे अपने इस ठिकाने को तिलांजलि देकर वापस बीजेपी वाले पुराने ठिकाने मैं चले जायेंगे।ऐसे में उन्हें आरजेडी नेताओं के दवाब में आकर तेजस्वी यादव के हाथ मुख्यमंत्री वाली कुर्सी भी नहीं गवाने पड़ेगी और फिर से पुरानी पार्टी में जाकर मुख्यमंत्री का मजा लेने का मौका भी मिल जाएगा।

इस नई सोच की पहली कड़ी तब से बन्नी प्रारंभ हो गई, जब 1 मार्च को नीतीश कुमार अपना 72 वां जन्मदिन मना रहे थे। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर उन्हें बधाई दी। इसके अलावा कई बीजेपी नेता और बीजेपी शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी उन्हें बधाई दी ।नीतीश कुमार ने भी उन्हें धन्यवाद देने में देरी नहीं लगाई। उल्टे उन्हें बधाई देने में देरी उनके उपमुख्यमंत्री और आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने ही की। हालांकि नीतीश कुमार ने उन्हें भी धन्यवाद कहा था।

अमित शाह ने नीतीश कुमार को किया फोन

जेडीयू के वरिष्ठ सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार 1 मार्च के दिन एक और बड़ी सियासी घटना घटी थी। केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता अमित शाह ने नीतीश कुमार को फोन कर जन्मदिन की बधाई दी थी। जाहिर है जब दो पार्टियों के दो दिग्गज नेता आपस में बात करते हैं, तो कई सियासी मुद्दों पर भी चर्चा होती है। ऐसे में कयास लगने लगा कि बिहार में भी नीतीश कुमार के वापस पुराने गठबंधन में जाने को लेकर चर्चा फोन पर हुई होगी। वैसे भी अमित शाह को किसी पार्टी को तोड़ने और जोड़ने में महारत हासिल है ।अमित शाह के बाद केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी फोन कर नीतीश कुमार को बधाई और शुभकामनाएं दी, तो इस बात को और बल मिला कि दोनों पार्टी (बीजेपी और जेडीयू) के फिर से एक गठबंधन में जाने का सूत्र तैयार हो रहा है।

अपने पुराने डिप्टी के घर पहुंचे नीतीश कुमार

बीजेपी और जेडीयू के बीच जो एक होने के लिए जो सूत्र तैयार हो रहा था, उस सूत्र ने अब दोनों पार्टियों ,बी जे पी और जेडीयू को घेरकर एक करना भी प्रारंभ कर दिया है इसकी एक बानगी तब देखने को मिली जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शनिवार को अपने पुराने साथी और बीजेपी नेता तारा किशोर प्रसाद के पिता के श्राद्ध कर्म में शामिल होने के लिए उनके घर कटिहार पहुंच गए। यहां वे करीब 1 घंटे तक रुके रहे। इस दौरान उनके साथ दो-दो सिपहसालार और वरिष्ठ मंत्री संजय झा और विजय चौधरी भी थे।

तेजस्वी के मुख्य मंत्री बनाने का टूट सकता है सपना

लालू प्रसाद यादव के पुत्र होने के कारण जब 2015 ईस्वी में नीतीश कुमार ने अपने पार्टी जेडीयू को बीजेपी वाले गठबंधन से निकालकर आरजेडी के साथ गठबंधन किया था , तब उन्हें तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री बनाया पड़ा था। इस प्रकार तेजस्वी यादव पहली बार उपमुख्यमंत्री बनने में सफल हुए थे।लेकिन उनके उपमुख्यमंत्री बनने का यह सफर उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी तक ले जा पाता, इससे पहले ही 2017 ईस्वी के जुलाई महीने में नीतीश कुमार ने आरजेडी के साथ संबंध तोड़ लिया और फिर से बीजेपी के साथ गठबंधन कर मुख्यमंत्री बन बैठे।

तेजस्वी यादव को फिर दुबारा तब उपमुख्यमंत्री बनने का मौका मिला ,जबकि अगस्त 2022 में नीतीश कुमार ने एक बार फिर से बीजेपी से नाता तोड़कर अपनी पार्टी जेडीयू का गंठबंधन आरजेडी, कांग्रेस और अन्य दलों वाले महागठबंधन से कर लिया। तेजस्वी यादव तब से लेकर अब तक उपमुख्यमंत्री बने हुए हैं। हालांकि इस बात की चर्चा जोर शोर से हो रही है कि नीतीश कुमार के साथ उनकी पार्टी की जो डील हुई है उसके अनुसार जल्दी ही उन्हें बिहार का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा।साथ ही नीतीश कुमार पर उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का दबाव बनाने के लिए, शायद वे समय-समय पर अपने पार्टी के नेताओं को उकसा भी रहे है।इसका अंदाजा इस बात से लगता है कि आरजेडी के कई बड़े नेता नीतीश कुमार से तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने की आवाज उठा चुके हैं, लेकिन फिर भी आरजेडी ने उस पर कोई अनुशासनात्मक कारवाई नहीं की है। लेकिन अब लगता है कि शायद नीतीश कुमार की चाल के आगे तेजस्वी यादव बिहार के मुख्यमंत्री तो क्या उपमुख्यमंत्री भी बने नहीं रह पाएंगे और नीतीश कुमार एक बार फिर से पलटी मार कर बीजेपी के साथ गठबंधन कर बिहार के नए मुख्यमंत्री बन जाएंगे।

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