न्यूज़ डेस्क
पांच दिनों के ब्रेक के बाद कांग्रेस ने फिर से मोदी सरकार पर हमला किया है और हम अडानी के कौन हैं सीरीज के तहत कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने तीन सवाल खड़े किये हैं। यह इस सीरीज से जुडी 17 वी क़िस्त है। कांग्रेस के तीनि सवाल अडानी घोटाले से जुड़े हैं।
सवाल नंबर एक
अडानी समूह के शेयरों में निरंतर बिकवाली के कारण,31 दिसंबर 2022 से समूह में एलआईसी के शेयरों के मूल्य में आश्चकर्यजनक रूप से 52,000 करोड़ रुपये की गिरावट आई है। इनका मूल्य अब मात्र 32,000 करोड़ रुपये रह गया है और एलआईसी तथा इसके करोड़ों पॉलिसीधारकों द्वारा कमाया गया सारा लाभ, जो अब हम सभी जानते हैं कि स्टॉक मार्केट में हेरफेर और मनी लॉन्ड्रिंग के कारण हुआ था, उस सारे लाभ का सफाया हो गया है और एलआईसी को एक बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। किसने भारत की वित्तीय प्रणाली के इस स्तंभ को आपके पसंदीदा व्यवसायी के इतने जोखिम भरे सौदे में शामिल होने के लिए मजबूर किया? भारत के नागरिकों की बचत के साथ खेले गए इस जुए के लिए आपको कब जवाबदेह ठहराया जाएगा?
सवाल नंबर दो
आज जबकि एमएससीआई, एस एंड पी डाउ जोन्स और एफटीएसई रसेल जैसी प्रमुख मार्केट इंडेक्सल प्रदाता कंपनियां अदानी समूह की फर्मों के भारांक यानी वेटेज की समीक्षा कर रही हैं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज निवेशकों की सुरक्षा के लिए कोई गंभीर कार्रवाई करने में विफल रहा है। इसके विपरीत एनएसई ने 17 फरवरी 2023 को घोषणा की कि वर्तमान में शेयर बाजारों में डूब रही अदानी समूह की कंपनियों में से अतिरिक्त 5 को 14 सूचकांकों में शामिल किया जाएगा। इससे कई वित्तीय सलाहकारों ने अपने ग्राहकों को इन फंडों में निवेश न करने की सलाह दी है, जो उन सूचकांकों का बेंचमार्क के रूप में उपयोग करते हैं। लेकिन लाखों असहाय निवेशकों पर अभी भी उनकी गाढ़ी कमाई से इन डूब रही अडानी समूह की कंपनियों को उबारने के लिए मजबूर होने का खतरा मंडरा रहा है। क्या आप अपने करीबी दोस्त को इस संकट से उबारने के लिए एनएसई पर दबाव बना रहे हैं? सेबी को यह सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई करने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है कि लाखों निवेशकों का एक डूबते हुए व्यावसायिक समूह में निवेश कराके उनसे धोखाधड़ी न हो?
और सवाल नंबर तीन
मुंबई में धारावी एरिया के पुनर्विकास के लिए नवंबर 2018 में जारी निविदा में दुबई स्थित सिकलिंक टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन 7,200 करोड़ रुपये की बोली के साथ सर्वोच्च बोली दाता के रूप में सामने आया था। नवंबर 2020 में रेलवे की जमीन के हस्तांतरण में देरी के कारण उस टेंडर को रद्द कर दिया गया था। अक्टूबर 2022 में नई शर्तों के साथ एक नया टेंडर जारी किया गया, जिसे अडानी समूह ने 5,069 रुपये की बोली के साथ जीता, जो राशि मूल निविदा विजेता की बोली से 2,131 करोड़ रुपये कम थी। क्या आपने बीजेपी समर्थित महाराष्ट्र सरकार को निविदा की शर्तों को बदलने के लिए मजबूर किया ताकि मूल निविदा विजेता को बाहर करके अडानी समूह को लाभ दिया जा सके?