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बिहार को है लालू प्रसाद का इंतजार ,महागठबंधन को करेंगे मजबूत और विपक्षी एकता को देंगे ताकत !

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अखिलेश अखिल
बिहार में लालू प्रसाद का बेसब्री से इन्तजार हो रहा है। राजद के लोग तो सामाजिक न्याय के इस मसीहे का इंतजार कर ही रहे हैं ,मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी उनका इन्तजार है। कांग्रेस भी इस ताक में है कि लालू प्रसाद स्वस्थ होकर लौटे और आगामी राजनीति की रणनीति पर बात की जाए। उधर राजनीतिक जानकार भी उनके आगमन का इन्तजार कर रहे हैं। राजनीतिक पंडितों को पता है कि लालू प्रसाद के बिहार आते ही बिहार में महागठबंधन के भीतर जो भी खेल होता दिखता है ,सब ख़त्म हो जाएगा। राजद के बागी नेताओं पर लगाम लग जाएगी। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और सुधाकर सिंह के बागी तेवर ठंडा हो जाएगा। उधर जदयू के भीतर उपेंद्र कुशवाहा को लेकर जो खेल जारी है उस पर भी विराम लग जाएगा। और सबसे बड़ी बात तेजस्वी यादव के भविष्य पर भी फैसला हो सकता है और विपक्षी एकता पर भी बात होगी।

लालू प्रसाद राजनीति के माहिर हैं। वे राजनीति के ऐसे व्यक्ति हैं जिनका हर कदम किसी को अपने में समाहित करता है तो किसी को ढेर कर जाता है। वे हर समय राजनीति के बारे में ह सोचते हैं। उनकी नजर केवल बिहार तक ही सीमित नहीं है। उनकी पहुँच हिंदी पट्टी तक तो है ही ,दक्षिण के राज्यों तक भी उनकी पहुँच है। देश का कोई ऐसा नेता नहीं जो लालू प्रसाद के घेरे से बाहर हों। इसलिए सबको लालू प्रसाद के सिंगापूर से लौटने का इन्तजार है।

लालू के लौटने का सबसे ज्यादा इन्तजार बिहार को है। खासकर नीतीश कुमार को अभी सबसे ज्यादा लालू के आगमन की प्रतीक्षा है। नीतीश कुमार की यही इच्छा है कि बिहार को मजबूत कर तेजस्वी के हाथ में बिहार को सौप दिया जाए। अपनी इस बात पर नीतीश कुमार आज भी कायम हैं। ये बात और है कि जदयू के भीतर इसी बात को लेकर कुछ नेता बखेड़ा खड़ा कर रहे हैं। उपेंद्र कुशवाहा यही सवाल नीतीश कुमार से पूछ रहे हैं कि आखिर राजद के साथ डील हुई थी कि नीतीश कुमार बिहार में भविष्य की राजनीति तेजस्वी के हाथ सौपने की बात कर रहे हैं ? जदयू के भीतर अभी बहुत कुछ ठीक नहीं है। जदयू का भविष्य आगे क्या होगा अभी इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसे में लालू प्रसाद की उपस्थिति आज बिहार में बहुत जरुरी है। संभव है कि लालू प्रसाद बिहार पहुंचेंगे तो उपेंद्र कुशवाहा का संशय भी खतम हो जाएगा। लेकिन डर यही है कि आवेश में उपेंद्र कुशवाहा इतना कुछ नीतीश कुमार पर बोल चुके हैं कि फिर से वे नीतीश के हमसफ़र नहीं हो सकते। उपेंद्र कुशवाहा गलत हैं या सही अब मामला यही तक नहीं रह गया है। मामला अब विश्वास और अविश्वास का हो गया है। संभव है कि बाद में उपेंद्र कुशवाहा कोई और भी निर्णय ले लें लेकिन यह भी संभव है कि लालू प्रसाद अगर बिहार पहुँच जाते हैं तो उपेंद्र के दर्द को भी खतम कर सकते है और नीतीश की परेशानी का भी हल कर सकते हैं।

अभी तक की जानकारी के मुताबिक़ लालू प्रसाद दस फरवरी को बिहार पहुँच सकते हैं। हालांकि अभी तक इसका कोई व्योरा सामने नहीं आया है लेकिन इस बात की उम्मीद है कि लालू प्रसाद अब जल्द बिहार पहुंचेंगे। इस बात की जानकारी उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने भी दी है। उन्होंने कहा है कि पापा अब विल्कुल स्वास्थ्य है और बिहार जाने वाले हैं।

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के आगमन के साथ ही महागठबंधन के नेताओं की उम्मीद को पंख लग गए है। कहा यह जा रहा है कि बयानों के जरिए जो मतभेद पैदा किए जा रहे हैं उसके समाधान की उम्मीद जदयू के नेताओं को भी है। महागठबंधन के नेताओं की उम्मीद यह है कि आते ही लालू पूर्व मंत्री सुधाकर सिंह , शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर ,राजस्व मंत्री आलोक मेहता के बयान के बाद जदयू और राजद के बीच बढ़ती खाई को पाट कर गठबंधन की राजनीति को मजबूत करेंगे। राजद सुप्रीमो का दूसरा लक्ष्य विपक्षी एकता की मुहिम को धार देना भी हो सकता है। लोकसभा चुनाव में अब बमुश्किल डेढ़ साल का वक्त बच रहा है। तीसरा लक्ष्य यह भी हो सकता है कि लालू तेजस्वी की ताजपोशी की जमीन तैयार कर सकते हैं, जिसका सपना राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह, वरीय राजद नेता शिवानंद तिवारी या फिर उदय नारायण चौधरी देख रहे हैं। एक चौथी संभावना राजद और जदयू के विलय को ले कर है। उपेंद्र कुशवाहा लगातार इशारा कर रहे हैं कि राजद और जदयू में डील हुई है।

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के आगमन के साथ ही महागठबंधन के नेताओं की उम्मीद को पंख लग गए है। कहा यह जा रहा है कि बयानों के जरिए जो मतभेद पैदा किए जा रहे हैं उसके समाधान की उम्मीद जदयू के नेताओं को भी है। महागठबंधन के नेताओं की उम्मीद यह है कि आते ही लालू पूर्व मंत्री सुधाकर सिंह, शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर ,राजस्व मंत्री आलोक मेहता के बयान के बाद जदयू और राजद के बीच बढ़ती खाई को पाट कर गठबंधन की राजनीति को मजबूत करेंगे। राजद सुप्रीमो का दूसरा लक्ष्य विपक्षी एकता की मुहिम को धार देना भी हो सकता है। लोकसभा चुनाव में अब बमुश्किल डेढ़ साल का वक्त बच रहा है। तीसरा लक्ष्य यह भी हो सकता है कि लालू तेजस्वी की ताजपोशी की जमीन तैयार कर सकते हैं, जिसका सपना राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह, वरीय राजद नेता शिवानंद तिवारी या फिर उदय नारायण चौधरी देख रहे हैं। एक चौथी संभावना राजद और जदयू के विलय को ले कर है। उपेंद्र कुशवाहा लगातार इशारा कर रहे हैं कि राजद और जदयू में डील हुई है।

लालू यादव बिहार आएंगे तो सभी की नजरें सुधाकर सिंह और उपेंद्र कुशवाहा पर होंगी। सबसे पहले बात करते हैं सुधाकर सिंह की। महागठबंधन के सर्वमान्य नेता नीतीश कुमार को लेकर सुधाकर सिंह ने मोर्चा खोल रहा है। वो अपने ही गठबंधन के सीएम नीतीश को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। पार्टी ने सुधाकर सिंह के बयानों को देखते हुए उन्हें शो कॉज नोटिस भी दिया गया। इसका जवाब भी सुधाकर सिंह ने दिया। लेकिन इसके बाद भी सुधाकर सिंह शांत नहीं हुए।

मोतिहारी में सुधाकर सिंह ने 6 फरवरी को एक बार फिर नीतीश कुमार पर हमला बोला था। सुधाकर सिंह ने कहा कि ‘नीतीश कुमार ने बिहार को गर्द में धकेल दिया है। अब निकल पाना मुश्किल है।’ सुधाकर सिंह के मामले में कहा जा रहा है कि जब लालू बिहार आएंगे तो गठबंधन और नफा-नुकसान देखते हुए सुधाकर सिंह पर कोई बड़ा फैसला हो सकता है।

और सबसे बड़ी बात कि विपक्षी नेताओं को भी लालू प्रसाद का इन्तजार है। कांग्रेस समेत कई दलों के नेता लालू प्रसाद का इन्तजार कर रहे हैं। माना जा रहा है कि लालू के आते ही नीतीश कुमार विपक्षी मुहीम को आगे बढ़ाएंगे। यह भी संभव है कि ही लालू प्रसाद के साथ ही नीतीश कुमार विपक्षी एकता को लेकर आगे की रणनीति बनाये। काम से काम यूपीए की राजनीति को कितना धारदार और कारगर बनाया जाए इस पर बात की सम्भावना बढ़ गई है। कहा जा रहा है कि सोनिया से लेकर राहुल गाँधी भी लालू प्रसाद का इन्तजार कर रहे हैं। उधर शरद पवार से लेकर उद्धव ठाकरे भी विपक्षी एकता को लेकर तैयार हैं। ममता बनर्जी खुद चाह रही है कि लालू प्रसाद के साथ बैठकी हो और कोई रास्ता निकले। पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा भी लालू प्रसाद के इन्तजार में हैं और जम्मू कश्मीर से जुड़े नेता भी लालू के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

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