अखिलेश अखिल
क्या झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन फिर से पाला बदलने को तैयार हैं ? चर्चा इस बात की ज्यादा हो रही है कि अगले लोकसभा चुनाव तक वे कांग्रेस से गठबंधन तोड़कर बीजेपी के साथ जा सकते हैं। हालांकि इस खबर की कही कोई पुष्टि नहीं हो रही है लेकिन जिस तरह पिछले कुछ समय से झारखंड में होता दिख रहा है और हेमंत सोरेन की नजदीकियां बीजेपी के साथ बढ़ रही है उससे यह कयास भर लगाया जा रहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी सरकार को बचाने के लिए बीजेपी के साथ जाने को तैयार हो गए हैं। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस को झारखंड में बड़ा झटका लग सकता है और विपक्षी एकता की कहानी कुंद हो सकती है। यह बात और है कि कांग्रेस भी लगातार हेमंत के बढ़ते कदम पर नजर लगाए हुए है लेकिन दिक्कत ये है कि कांग्रेस को चुप रहने के अलावा कोई रास्ता भी नहीं सूझ रहा है।
ऊपर से देखने में झारखंड में बीजेपी और जेएमएम में लड़ाई जारी है। एक दूसरे के नेता हर रोज बयान जारी करते हैं और एक एक दूसरे पर हमला करने से नहीं चूकते। लेकिन हेमंत की सरकार चल रही है और आगे बढ़ भी रही है। कई बार लगा कि हेमंत की सदस्यता ख़त्म होने वाली है और हेमंत की गिरफ्तारी भी होने वाली है। हेमंत सोरेन कई बार खुद ही ऐसी बात कर चुके हैं। लेकिन हुआ कुछ भी नहीं। राज्य के राज्यपाल एक बार कह चुके थे कि राज्य में कभी भी एटम बम फुट सकता है और राजनीतिक खेल बदल सकता है लेकिन उस बयान का भी कुछ नहीं हुआ। बार -बार यह भी कहा गया कि कांग्रेस के कई विधायक भी टूट सकते हैं और सरकार गिर सकती है। हालांकि बीजेपी अभी भी इस प्रयास में है कि कांग्रेस से ज्यादा विधायकों को तोड़ दिया जाए। लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली। इन तमाम बयानों और प्रयासों के बाद भी हेमंत की सरकार चल रही है तो इसके कुछ राजनीतिक मकसद ही हैं।
अब दिल्ली से लेकर झारखंड तक इस बात की चर्चा चल रही है कि भीतर से जेएमएम और बीजेपी के बीच कोई समझौता हो गया है। समझौते की सच्चाई क्या है यह किसी को पता नहीं है लेकिन इतना तो साफ़ है कि हेमंत की नजदीकियां बीजेपी से बढ़ी है और वे लगातार बीजेपी नेताओं के साथ बैठके भी करते देखे जा रहे हैं।
अभी हाल में ही हेमंत सोरेन दिल्ली आए और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के बेटे के शादी समारोह में शामिल हुए। इसकी फोटो खूब वायरल हुई। इसके बाद वे केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह से मिले और उसकी भी फोटो जारी हुई। फिर वे गैर कांग्रेसी मोर्चा बनाने की कोशिश कर रहे घनघोर कांग्रेस विरोधी नेता अरविंद केजरीवाल से मिले। यही मुलाकात कई सवालों को जन्म दे रहे हैं। राज्य में कांग्रेस के 17 विधायकों के दम पर हेमंत सोरेन की सरकार चल रही है फिर भी वे कांग्रेस की बजाय कांग्रेस विरोधियों से मेल मुलाकात बढ़ा रहे हैं।
कहा जा रहा है कि हेमंत के ऊपर कांग्रेस से दूरी बनाने का दबाव है। वे इसी शर्त पर बचे हुए हैं कि कांग्रेस से दूरी बनाएंगे और अगले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ नहीं लड़ेंगे। अगर लोकसभा में कांग्रेस और जेएमएम का तालमेल नहीं होता है तो भाजपा के लिए राज्य की 14 में से अपनी जीती हुई 12 सीटें बचाना आसान हो जाएगा। वैसे भी इस बार जेएमएम चार सीट पर लड़ कर संतोष नहीं करने वाली है। वह कांग्रेस के बराबर सीट लड़ना चाहेगी या उसे कम सीट देगी। इस पर तालमेल टूट सकता है। इसका सीधा फायदा भाजपा को होगा। ध्यान रहे भाजपा की अब पहली चिंता 2024 को लोकसभा चुनाव है। राज्य विधानसभा के बारे में उसके बाद में सोचा जाएगा।
सच क्या है यह कौन जानता है। राजनीति में अगर सबकुछ जायज है तो इस बात की गुंजाइस बढ़ती जा रही है कि आने वाले समय में बीजेपी विपक्ष को कमजोर करने के लिए कोई बड़ा दाव खेल सकती है। बीजेपी की नजर अगले लोकसभा चुनाव पर है और हर हाल में फिर से सत्ता में आना चाहती है। हेमंत को साधकर बीजेपी झारखंड में लाभ ले सकती है। हेमंत को भी पता है कि उसकी राजनीति राज्य तक ही सीमित है ऐसे में विपक्ष की सरकार तो बनने की सम्भावना नहीं है फिर बीजेपी के साथ मिलकर सूबे की सरकार को ही क्यों नहीं बचाया जाए।