अगर मौसम का मिजाज अचानक बदल जाए, जैसे कभी ठंडी हवा तो कभी तेज धूप पड़ने लगे तो इसका सीधा असर सेहत पर पड़ता है।खासतौर पर माइग्रेन से जूझ रहे लोगों के लिए यह बदलाव बड़ी परेशानी बन सकता है।मेडिकल रिसर्च बताती है कि टेंपरेचर में तेजी से होने वाले बदलाव माइग्रेन अटैक को ट्रिगर कर सकता है, जिससे सिर दर्द कई घंटों तक बना रह सकता है। ऐसे में चलिए अब आपको बताते हैं कि अचानक सर्दी या गर्मी से माइग्रेन कैसे बढ़ सकता है और डॉक्टर इससे बचने का क्या तरीका बताते हैं।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के अनुसार माइग्रेन के करीब 16.5 प्रतिशत मामलों में अचानक ठंड और 9.6 प्रतिशत मामलों में अचानक गर्मी वजह बनती है। वहीं जो लोग टेंपरेचर के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं, उनमें यह असर लगभग 29 प्रतिशत तक देखा गया है।डॉक्टरों के अनुसार मौसम बदलने पर हवा का दबाव, नमी और तापमान तेजी से बदलता है।इससे दिमाग की नसों और ब्लड वेसल्स पर असर पड़ता है, जो माइग्रेन अटैक को शुरू कर सकता है।
माइग्रेन एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है, जिसमें सिर के एक हिस्से में तेज और धड़कन जैसा दर्द होता है। यह दर्द 4 से 72 घंटों तक बना रह सकता है।सामान्य सिर दर्द अक्सर तनाव या थकान से होता है और आराम करने से ठीक हो जाता है,जबकि माइग्रेन में रोशनी, आवाज और गंध से परेशानी बढ़ जाती है।कई बार मतली, उल्टी और धुंधला दिखने जैसी दिक्कतें भी होती है। वहीं अचानक ठंडी हवा या तेज धूप लगने से दिमाग की ब्लड वेसल्स सिकुड़ने और फिर फैलने लगती है।इससे नर्व सिग्नलिंग अस्थिर हो जाती है और तेज दर्द शुरू हो सकता है। सर्दियों में धूप कम मिलने, रूटीन बिगड़ने और पानी कम पीने से भी माइग्रेन का खतरा बढ़ जाता है।
डॉक्टरों के अनुसार माइग्रेन पूरी तरह खत्म होना हर किसी में संभव नहीं होता, लेकिन सही लाइफस्टाइल से इसे कंट्रोल किया जा सकता है।रोजाना एक जैसी लाइफस्टाइल, पूरी नींद, समय पर खाना और पर्याप्त पानी माइग्रेन अटैक कम करने में मदद करता है।इसके साथ ही अपने ट्रिगर पहचानना और उनसे बचना सबसे जरूरी कदम माना जाता है।इसके अलावा डॉक्टर यह भी बताते हैं कि अचानक सर्दी-गर्मी से बचने के लिए सिर और कान ढक कर रखें।तेज धूप में बाहर निकलने से बचें और मौसम के हिसाब से रूटीन बनाए रखें।
