लगभग तीन साल तक COVID-19 दुनिया में किसी भी एक इंफेक्शन बीमारी से होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण बना रहा।2020 से 2023 के बीच इस वायरस ने करीब 70 लाख लोगों की जान ले ली। था,लेकिन 2023 में यह भयावह रिकॉर्ड फिर से टीबी के पास लौट आया। WHO के अनुसार, आज भी हर दिन करीब 3,400 लोग टीबी से अपनी जान गंवाते हैं, और लगभग 30,000 नए लोग इस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं, जबकि टीबी एक ऐसी बीमारी है जिसे समय पर पहचान और इलाज से रोका भी जा सकता है और पूरी तरह ठीक भी किया जा सकता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, टीबी की सबसे बड़ी दिक्कत इसका कई लेवल स्वभाव है। इसके लक्षण कई अन्य इंफेक्शन जैसे लगते हैं, जिससे पहचान में समय लग जाता है; इलाज लंबा चलता है, जिसमें 6 से 9 महीने तक एंटीबायोटिक्स लेनी पड़ती हैं।इसके कीटाणु बंद और हवा रहित जगहों में लंबे समय तक मौजूद रह सकते हैं।
अगर बात करें कि इसकी कितनी स्टेज होती हैं तो आपको बता दें कि इस खतरनाक बीमारी की 3 स्टेज होती हैं।
एक्सपोजर
यह शुरुआती स्टेज है, जब टीबी के कीटाणु शरीर में प्रवेश करते हैं. इम्यून सिस्टम उनमें से ज़्यादातर को रोक लेता है, लेकिन कुछ सूक्ष्म बैक्टीरिया बच जाते हैं और बाद में छिपे हुए संक्रमण (लेटेंट टीबी) में बदल सकते हैं।
लेटेंट टीबी
इस स्टेज में टीबी शरीर में मौजूद तो रहती है लेकिन सक्रिय नहीं होती। लक्षण नज़र नहीं आते, पर बैक्टीरिया भविष्य में सक्रिय हो सकते हैं।यानी बीमारी बनने की आशंका बनी रहती है।
एक्टिव टीबी
इस स्टेज में टीबी के कीटाणु शरीर में बढ़ने लगते हैं और लक्षण दिखना शुरू होते हैं। यह चरण संक्रामक होता है, खांसने या छींकने से हवा में फैले छोटे-छोटे कणों के जरिए दूसरों तक पहुंचता है। अगर इलाज न मिले तो यह गंभीर दिक्कत मौत तक ले जा सकता है।
टीबी के आम लक्षण
लगातार खांसी
सीने में दर्द
कमजोरी
थकान
वजन घट जाना
बुखार
रात में पसीना
लक्षण इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि टीबी शरीर के किस हिस्से को प्रभावित कर रही है। फेफड़ों में टीबी सबसे आम है, लेकिन ये लिवर, दिमाग, रीढ़ और त्वचा को भी प्रभावित कर सकती है।
टीबी का इलाज
टीबी का मानक इलाज 6 महीने तक चलने वाला एंटीबायोटिक्स का कोर्स है।बिना इलाज टीबी से मौत का खतरा लगभग 50 प्रतिशत तक होता है, लेकिन सही और पूरा इलाज लेने पर लगभग 85 प्रतिशत मरीज पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। अगर बैक्टीरिया दवाइयों पर प्रतिक्रिया नहीं देते, तो यह ड्रग-रेजिस्टेंट टीबी कहलाता है।इसका इलाज कठिन, लंबा और ज्यादा दवाओं वाला होता है। MDR-TB (मल्टी-ड्रग रेज़िस्टेंट टीबी) लगभग 11 से 12 प्रतिशत मामलों में देखा जाता है, और इसकी सफलता दर सामान्य टीबी से काफी कम होती है।MDR-TB अक्सर तब फैलती है जब मरीज इलाज बीच में छोड़ देते हैं या गलत तरीके से दवा लेते हैं।भीड़भाड़ वाले स्थानों में यह दूसरों तक भी पहुंच सकती है।
