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क्या इंसान जी पाएंगे 150 साल? चीन की नई लॉन्गेविटी पिल ने दुनिया में मचा दी सनसनी

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दुनिया भर में जिज्ञासा और शक दोनों को बढ़ाने वाली एक नई रिपोर्ट चीन से सामने आई है। शेनझेन स्थित एक बायोटेक कंपनी ने दावा किया है कि भविष्य में इंसान 150 साल तक जी पाएंगे। Lonvi Biosciences नाम की इस कंपनी का यह बड़ा बयान ऐसे समय में आया है जब दुनिया में औसत मानव आयु 65 से 70 साल के बीच है।

कंपनी का कहना है कि उसने एक खास तरह की लॉन्गेविटी पिल बनाई है जो उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर शरीर के जीवनकाल को बढ़ा सकती है।यह दवा शरीर की उन पुरानी और निष्क्रिय हो चुकी कोशिकाओं को निशाना बनाती है जिन्हें वैज्ञानिक “जॉम्बी सेल” कहते हैं। ये कोशिकाएं खुद तो विभाजित नहीं होतीं लेकिन शरीर में लगातार सूजन और कई उम्र-संबंधी समस्याओं का कारण बनती रहती हैं।दुनिया भर में वैज्ञानिक ऐसी कोशिकाओं को बेअसर करने के तरीकों पर रिसर्च कर रहे हैं।

इस दवा का मुख्य तत्व Procyanidin C1 (PCC1) बताया गया है जो अंगूर के बीजों से प्राप्त एक प्राकृतिक यौगिक है। कंपनी का दावा है कि लैब में किए गए माउस एक्सपेरिमेंट में इसके बेहद चौंकाने वाले नतीजे मिले हैं।

रिपोर्ट्स के अनुसार, जिन चूहों को यह दवा दी गई उनकी कुल आयु लगभग 9.4% बढ़ गई।इतना ही नहीं, इलाज शुरू होने के बाद उनकी बची हुई जीवन संभावना में 64% से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई।Lonvi Biosciences का कहना है कि ये आंकड़े साबित करते हैं कि सही सेल-बेस्ड उपचार जीवनकाल को नाटकीय रूप से बढ़ा सकते हैं।

कंपनी के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर, ल्यू क़िंगहुआ ने The New York Times से कहा कि इंसान का 150 साल तक जी पाना पूरी तरह संभव है और आने वाले कुछ वर्षों में इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति देखने को मिल सकती है।

साल 2024 में चीन की औसत आयु 79 साल हो गई जो विश्व औसत से लगभग 5 साल अधिक है।बढ़ती रिसर्च, सरकारी रुचि और निजी निवेश ने चीन में लॉन्गेविटी साइंस की तरफ लोगों का ध्यान खींचा है।

शंघाई के एक लॉन्गेविटी स्टार्टअप Time Pie के को-फाउंडर, गैन यू का कहना है कि चीन में इस विषय को लेकर एक बड़ा बदलाव आया है।उन्होंने कहा पहले चीन में कोई लंबी उम्र पर बात नहीं करता था। यह अमरीका के अमीर लोगों की दिलचस्पी माना जाता था लेकिन अब कई चीनी नागरिक खुद इसमें निवेश कर रहे हैं।

जहां कंपनी का दावा उम्मीद जगाता है, वहीं वैज्ञानिक समुदाय इस पर सावधानी बरतने की सलाह दे रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि चूहों पर हुए सफल परीक्षण सिर्फ शुरुआती संकेत हैं। इस दवा की सुरक्षा और असर को लेकर किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले विस्तृत और लंबी अवधि के मानव परीक्षण जरूरी हैं।

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