HomeदेशNDA में 'मोदी के हनुमान' चिराग के ऊपर लगा नीतीश का ग्रहण

NDA में ‘मोदी के हनुमान’ चिराग के ऊपर लगा नीतीश का ग्रहण

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एनडीए की राजनीति में चिराग पासवान संकट बन गए हैं या फिर चिराग पासवान की राजनीति संकट में है? राजनीतिक जगत में यह चर्चा का विषय बन गया है। मान मनौवल को ले कर बीजेपी के शीर्ष नेताओं का चिराग पासवान के यहां दरबार लगाना । फिर भी कोई समाधान नहीं निकलना। वो भी तब जब चिराग पासवान मोदी के हनुमान का गदा आज भी भी भांज रहे हैं। तो आखिर पेच फंसा कहां है ? आइए इसे समझते हैं?

चिराग पासवान एनडीए के भीतर रह कर पार्टी को हर मोर्चा पर मजबूत करना चाहते हैं। लोकसभा में पार्टी के जिस तरह से पांच सांसद लोकसभा में बुलंद आवाज के साथ एनडीए की तीसरी बड़ी पार्टी बने हैं। इसी तरह चिराग पासवान वर्तमान माहौल में बिहार विधानसभा में एक अच्छी संख्या के साथ पार्टी का प्रतिनिधित्व चाहते हैं। पार्टी की अंदरूनी चाहत है कि मेरे जब पांच सांसद है तो कम से कम 43 सीटें अवश्य मिलनी चाहिए। यह चर्चा राजनीतिक गलियारों में सार्वजनिक है। पर एलजेपी (आर) के अंदरखाने की बात करें तो चिराग पासवान की असली कुछ छुपी हुई समस्याएं हैं।

पहली समस्या: विधानसभा में अपेक्षा से कम सीटों पर लड़ने के ऑफर के बदले लोक जनशक्ति पार्टी-रामविलास राज्यसभा में एक सीट चाहती है। चिराग यह सीट अपनी मां के लिए चाहते है। चिराग चाहते हैं कि इसकी घोषणा बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चाहते हैं। यह अभी तक नहीं हुआ।

दूसरी समस्या: लोक जनशक्ति पार्टी बिहार विधान परिषद में भी उपस्थिति चाहते हैं। मंशा यह है कि हर सदन में उनका प्रतिनिधित्व हो।

तीसरी समस्या: जिन लोकसभा में एलजेपी(आर) का प्रतिनिधित्व है उन लोकसभा के अंदर आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में से की दो विधानसभा में एलजेपी (आर) की हिस्सेदारी हो।

चौथी समस्या: एलजेपी (आर) अपने उन साथियों के लिए भी सीटें चाहती है जिन्होंने बुरे दिन में साथ रह कर पार्टी को बिखरने से बचाया। ऐसे में संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हुलास पांडेय को ब्रह्मपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाना चाहते हैं। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी को चिराग पासवान गोविंदगंज विधानसभा से चुनाव लड़ना चाहते हैं।
चिराग पासवान पार्टी के राष्ट्रीय सचिव अरविंद सिंह को वर्ष 2025 के चुनावी जंग में अतरी से उतारना चाहते हैं। पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष संजय सिंह को भी लड़ाना चाहते हैं।

इन सीटों की हिस्सेदारी को लेकर इतनी माथापच्ची चिराग पासवान अपने उन कार्यकर्ताओं के लिए कर रहे हैं जिन्हें इस बार चुनाव लड़ने की उम्मीद है। ऐसा कर चिराग अपने उन कार्यकर्ताओं को दिखाना चाहते हैं कि उन्होंने इनके लिए संघर्ष किया लेकिन गठबंधन धर्म को देखते सीटों की संख्या कम करनी पड़ी। एक दुरूह सच्चाई यह भी है कि पार्टी के पद होल्डर जो एलजेपी की रीढ़ हैं उन्हें अपनी मनचाही सीट नहीं मिली तो पार्टी टूट भी सकती है। ऐसे में सबसे पहले पार्टी बचाने की जिम्मेदारी चिराग के ऊपर है।ऐसे में ये अपने संघर्षों में इन सभी चीजों दिखा भी रहे है।

सूत्रों की मानें तो मोदी के हनुमान की मुश्किल नीतीश कुमार ने बढ़ा दी है। जेडीयू की तरफ से बीजेपी नेतृत्व को साफ संकेत दे दिया गया है कि न तो सीटिंग छोड़ेंगे और न ही वो सीट जहां जेडीयू दूसरे स्थान पर रही है। ऐसा इसलिए कि एलजेपी ( आर )के कारण ही जेडीयू के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे। जेडीयू की तरफ से बीजेपी यह संकेत भी दे दिया है कि चिराग को आप देखे। और ज्यादा नखरा बढ़े तो वीआईपी या राष्ट्रीय लोजपा के अध्यक्ष पशुपति पारस से बात करें।

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