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मद्रास उच्च न्यायालय में बीजेपी नेता विक्टोरिया गौरी अतिरिक्त जज बनी हैं। केंद्र सरकार ने इस पर अपनी सहमति दी है लेकिन स्थानीय वकीलों को यह सब रास नहीं आया और वकीलों ने केंद्र के इस निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस फैसले का विरोध किया है। याचिका में सीजेआई बेंच से अपील की गई कि चूंकि ये मामला काफी अहम है इसलिए शीघ्र इस पर सुनवाई की जाए। सीजेआई बेंच आगामी शुक्रवार को इस मसले पर सुनवाई करेगा।
बता दें कि बीजेपी नेता गौरी समेत चार वकीलों को उच्च न्यायालय में जज बनाने की सिफारिश सीजेआई चंद्रचूड़ वाले कोलेजियम द्वारा 17 जनवरी को गई थी। उसके बाद ही वकीलों ने मोर्चा खोल दिया था। वकीलों का कहना था कि गौरी की नियुक्ति निष्पक्ष न्यायपालिका पर एक कुठाराघात है।
विक्टोरिया गौरी को जज बनाने की कॉलेजियम की सिफारिश के बाद ही उनके दो इंटरव्यू ने बखेड़ा कर दिया। द मोर थ्रेट टू नेशनल सिक्योरिटी एंड पीस? जिहाद या क्रिश्चियन मिशनरी और कल्चरल जेनोसाइड बॉय क्रिश्चियन मिशनरी इन भारत उनके नाम की सिफारिश के बाद सामने आए। इसके अलावा संघ के पब्लिकेशन में 1 अक्टूबर 2012 को प्रकाशित उनका लेख भी विवादों की वजह बन गया।
वकीलों के एक ग्रुप ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर गौरी के नाम की सिफारिश पर आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि ऐसे समय में जब न्यायपालिका की छवि पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। उनका कहना था कि ऐसे समय में गौरी की नियुक्ति से स्थिति और ज्यादा खराब ही होगी। वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके सीजेआई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच से अपील की कि वो इस मामले की तुरंत सुनवाई करें। उनका कहना था कि न्यायपालिका की निष्पक्षता के लिए इस मामले पर जल्द सुनवाई करनी जरूरी है। सीजेआई ने पहले अगले सोमवार को सुनवाई पर सहमति जताई। लेकिन जब रामचंद्रन ने फिर से जोर दिया तो उन्होंने आने वाले शुक्रवार को सुनवाई के लिए मंजूरी दे दी। वकीलों की आपत्ति इस बात को लेकर है कि मुस्लिम और ईसाई समुदाय के मामलों में गौरी निष्पक्ष होकर कैसे फैसला कर सकेंगी।
विक्टोरिया गौरी के मामले ने उस समय ज्यादा तूल पकड़ा जब कानून मंत्री किरण रिजिजू ने एक ट्वीट किया। ये ट्वीट गौरी मामले में दायर याचिका से कुछ पहले ही किया गया था। रिजिजू ने लिखा कि केंद्र ने हाईकोर्ट्स के लिए 13 जजों की नियुक्ति को मंजूरी दी। इसमें विक्टोरिया गौरी का नाम भी शामिल है। नियुक्ति से पहले गौरी मदुरै बेंच में केंद्र सरकार की तरफ से डिप्टी सॉलिसिटर जनरल नियुक्त की गई थीं।