पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने संघर्ष विराम पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे की पोल खोल दी है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा है कि भारत ने अमेरिकी मध्यस्थता का प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया था। इसकी जानकारी अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने खुद इशाक डार को दी थी। इससे पहले कम से कम 30 बार डोनाल्ड ट्रंप भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम की मध्यस्थता करने का दावा कर चुके हैं। हालांकि, भारत ने हर बार ट्रंप के दावे को सिरे से खारिज किया है और कहा है कि यह सिर्फ द्विपक्षीय वार्ता के जरिए हुआ और इसमें किसी भी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं है।
कतरी न्यूज चैनल अल जजीरा के साथ इंटरव्यू में इशाक डार से सवाल किया गया कि क्या भारत के साथ कोई बातचीत चल रही है? क्या कोई तीसरा पक्ष इसमें शामिल है? क्या आप तीसरे पक्ष की भागीदारी के लिए तैयार हैं? इस पर इशाक डार ने कहा, कि हमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन भारत स्पष्ट रूप से कह रहा है कि यह द्विपक्षीय है, इसलिए हमें द्विपक्षीय बातचीत से कोई आपत्ति नहीं है।
अमेरिका को भारत ने कर दिया था मना।
इशाक डार ने आगे कहा कि जब 10 मई को सुबह करीब 8:00 – 8:17 बजे सेक्रेटरी रुबियो के जरिए संघर्ष विराम का प्रस्ताव मेरे पास आया, तो मुझे बताया गया कि बहुत जल्द ही भारत और न्यूयार्क के बीच एक स्वतंत्र स्थान पर बातचीत होगी। जब 25 जुलाई को वाशिंगटन में सेक्रेटरी रुबियो के साथ हमारी द्विपक्षीय बैठक हुई, तो मैंने उनसे पूछा कि बातचीत का क्या हुआ। उन्होंने कहा कि भारत का कहना है कि यह एक द्विपक्षीय मुद्दा है।
उन्होंने कहा कि हम ऐसा नहीं चाहते। इसलिए, हम किसी चीज की भीख नहीं मांग रहे हैं। अगर कोई देश बातचीत चाहता है, तो हमें खुशी होगी। हमारा स्वागत है।हम एक शांतिप्रिय देश हैं। हमारा मानना है कि बातचीत ही आगे बढ़ने का रास्ता है, लेकिन जाहिर है, बातचीत के लिए दो लोगों की जरूरत होती है। इसलिए जब तक भारत बातचीत नहीं करना चाहता, हम बातचीत के लिए मजबूर नहीं कर सकते, हम बातचीत के लिए मजबूर नहीं करना चाहते।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 10 मई से ही भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम का श्रेय लेने में जुटे हैं। ट्रंप ने कई मौकों पर दावा किया है कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान संघर्ष को रुकवाया। उन्होंन यहां तक दावा किया कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष परमाणु युद्ध की ओर जा रहा था। ऐसा करने के लिए उन्होंने खुद को नोबेल शांति पुरस्कार देने की भी मांग की थी