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पीएम मोदी की मां को गाली देने के मामले में जानिए लालू यादव ने क्या कुछ बोला

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NDA ने पीएम मोदी और उनकी मां को लेकर की गई अभद्र टिप्पणी को लेकर आज बिहार बंद का आह्वान किया था।इस बंद में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) समेत एनडीए के तमाम घटक दल शामिल हुए। बंद सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक किया गया। इस दौरान आपातकालीन सेवाओं व रेल परिचालन को इससे बाहर रखा गया था। पूरे बिहार में इस बंद का असर दिखा।

आपको बता दें कि बीते दिनों कांग्रेस और आरजेडी की अगुवाई में चल रही ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के दौरान दरभंगा में मंच से पीएम मोदी और उनकी मां के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की गईं इसी को लेकर भाजपा और एनडीए गठबंधन आक्रोशित है।

पीएम मोदी और उनकी मां को गाली देने के मामले में अब आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट कर कहा है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपाइयों को आदेश दिया है कि आज पूरे बिहार और बिहारियों की माताओं-बहनों और बेटियों को गाली दो? गुजराती लोग बिहारियों को इतने हल्के में ना लें। यह बिहार है! बीजेपी के गुंडे-मव्वाली सम्मानित शिक्षिकाओं, राह चलती महिलाओं, छात्राओं, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और पत्रकारों को गालियां दे रहे है, उनके साथ हाथापाई कर दुर्व्यवहार कर रहे है। क्या यह उचित है? शर्मनाक!

एनडीए के बिहार बंद में दरभंगा से सांसद गोपाल ठाकुर भी शामिल हुए।उन्होंने इस दौरान कहा कि हमने संपूर्ण दरभंगा बंद किया है। मिथिला के केंद्र दरभंगा में जिस तरह से राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के मंच से पीएम मोदी और उनकी मां को लेकर अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया वो बेहद निंदनीय है। हमारा बंद पूर्ण रूप से सफल हुआ है।मां का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव को माफी मांगनी चाहिए।

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पीएम मोदी की मां पर की गई अभद्र टिप्पणी को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।बिहार बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा है कि यह सिर्फ मोदी की मां का अपमान नहीं, बल्कि देश की हर मां का अपमान है।माताओं को देवतुल्य माना जाता है और उनका अपमान असहनीय है। साथ ही उन्होंने लोगों से बंद में शामिल होकर कांग्रेस-राजद के खिलाफ एकजुट होने की अपील की।

भारत लोकतांत्रिक देश है और यहां सभी को अपनी बात कहने का अधिकार है।भारतीय संविधान के आर्टिकल 19 के तहत नागरिकों को कई अधिकार मिले हैं। आर्टिकल 19 (ए) भारतीयों को भाषण देने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है।वहीं, सेक्शन-बी के तहत लोग शांतिपूर्वक बिना किसी हथियारों के कहीं पर इकट्ठा हो सकते हैं।इस तरह संगठन देश में भारत बंद का ऐलान कर सकते हैं।

भारतीय संविधान में शांतिपूर्वक प्रदर्शनों की अनुमति दी गई है लेकिन उसमें हथियार को शामिल नहीं किया जा सकता। कार्रवाई तब शुरू होती है जब ये प्रदर्शन हिंसक होने लगते हैं। हिंसा के अलग-अलग मामलों में अलग-अलग धाराओं के तहत केस दर्ज किया जाता है।इनकी सजा भी अलग-अलग होती है।जैसे- भारत बंद में शामिल प्रदर्शनकारी किसी की प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाते हैं तो ऐसे मामले में प्रिवेंशन ऑफ डैमेज ऑफ पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट 1984 के तहत कार्रवाई की जाती है।

भारतीय संविधान में शांतिपूर्वक प्रदर्शनों की अनुमति दी गई है लेकिन उसमें हथियार को शामिल नहीं किया जा सकता। कार्रवाई तब शुरू होती है जब ये प्रदर्शन हिंसक होने लगते हैं। हिंसा के अलग-अलग मामलों में अलग-अलग धाराओं के तहत केस दर्ज किया जाता है। इनकी सजा भी अलग-अलग होती है। जैसे- भारत बंद में शामिल प्रदर्शनकारी किसी की प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाते हैं तो ऐसे मामले में प्रिवेंशन ऑफ डैमेज ऑफ पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट 1984 के तहत कार्रवाई की जाती है।

इस कानून के मुताबिक कोई सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाएगा तो उसे पांच साल तक की कैद और जुर्माने से दंडित किया जाएगा।प्रदर्शन हिंसक होने पर सबसे ज्यादा इसके मामले सामने आते हैं.

सप्रीम कोर्ट ने इस कानून को और बेहतर बनाने के लिए स्वत: संज्ञान लिया और 2007 में इसके लिए कमेटी बनाई।पहली, जस्टिस थॉमस कमेटी और दूसरी नरीमन कमेटी, लेकिन मामला बहुत प्रभावी नहीं रहा। इसके बाद में दंगे और प्रदर्शन की संख्या तेजी से बढ़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल भी बनाने की बात कही थी ताकि पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवियों या उस प्रदर्शन के नेता से वसूली की जा सके। हालांकि यह प्रक्रिया अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पाई।

इसी तरह जब उत्तर प्रदेश में CAA को लेकर प्रदर्शन हुए थे तो योगी सरकार इस पर कानून लाई थी।इसका नाम था उत्तर प्रदेश कम्पनसेशन फॉर डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी एक्ट 2020। कानून में बताया गया था कि अगर दंगाइओं की वजह से प्रॉपर्टी को नुकसान होता है तो पब्लिक प्रॉपर्टी की भरपाई भी उनसे ही कराई जाएगी। इस तरह लोकतांत्रिक देश के नाते शांतिपूर्वक प्रदर्शन और भारत बंद तो किया जा सकता है, लेकिन इनके हिंसक होने पर कार्रवाई का प्रावधान है।

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