Homeदेशआखिर केंद्र सरकार को देनी पड़ी पांच जजों की नियुक्ति की मंजूरी

आखिर केंद्र सरकार को देनी पड़ी पांच जजों की नियुक्ति की मंजूरी

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न्यूज डेस्क
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की ओर से भेजी गई पांच जजों की नियुक्ति की सिफारिश को केंद्र सरकार ने मंजूर कर लिया है और राष्ट्रपति ने इन पांच जजों की नियुक्ति की मंजूरी दे दी है। गौरतलब है कि नियुक्ति के कॉलेजियम सिस्टम को लेकर सरकार और न्यायपालिका में चल रही खींचतान की वजह से अनेक जजों की नियुक्ति रूकी है और अनेक सिफारिशें वापस हो गई हैं। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को इस मामले में चेतावनी दी थी, जिसके बाद सरकार ने अदालत को बताया था कि पांच जजों की नियुक्ति को जल्दी ही मंजूरी दी जाएगी।

इसके बाद शनिवार की शाम को पांच जजों की नियुक्ति को मंजूरी दे दी गई। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने खुद ट्वीट करके इसकी जानकारी दी। हालांकि रिजीजू ने इस बात का खंडन किया कि अदालत ने सरकार को कोई चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा कि यहां कोई किसी को चेतावनी नहीं दे सकता है। प्रयागराज में एक कार्यक्रम में रिजीजू ने मीडिया की खबरों को खारिज करते हुए कहा कि कोई किसी को चेतावनी नहीं दे सकता है। उन्होंने कहा- हम संविधान के हिसाब से काम कर रहे हैं और जनता मालिक है।

बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशों पर राष्‍ट्रपति ने मुहर लगा दी है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट को पांच नए जज मिले हैं। माना जा रहा है कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के जजों के रूप में शपथ ले सकते हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्‍या बढ़ कर 32 हो जाएगी। बाकी दो जजों की नियुक्ति की सिफारिशों पर अगले हफ्ते नियुक्ति हो सकती हैं।

गौरतलब है की सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस पंकज मित्तल, जस्टिस संजय करोल, जस्टिस पीवी संजय कुमार, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस मनोज मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट जज नियुक्त करने की सिफारिश की थी और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इनकी नियुक्ति का वारंट जारी किया गया है। इससे पहले 13 दिसंबर 2022 को कॉलेजियम ने राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पंकज मित्तल, पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल, मणिपुर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पीवी संजय कुमार, पटना हाई कोर्ट के जज जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस मनोज मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट जज बनाने की सिफारिश की थी।

तब से यह सिफारिश केंद्र सरकार के पास लंबित थी। एक दिन पहले यानी शुक्रवार को ही जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एएस ओका की पीठ ने हाई कोर्ट के जजों के तबादले की सिफारिशों को मंजूरी देने में हो रही देरी पर नाराजगी जताई थी और इसे बहुत गंभीर मुद्दा बताया था। साथ ही उन्‍होंने चेतावनी दी थी कि इस मामले में देरी का परिणाम प्रशासनिक और न्यायिक दोनों तरह की कार्रवाई हो सकता है, जो किसी भी तरह से अच्छा नहीं होगा।

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