अमेरिका ने पाकिस्तान के सहयोग से चलने वाले संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को अब वैश्विक आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत के रूप में देखा तो जा रहा है, लेकिन भारतीय खुफिया एजेंसी पाकिस्तान की चाल को लेकर भी सतर्क है।अमेरिका की ओर से लिया गया यह एक्शन पाकिस्तान के मुंह पर करारा तमाचा है, इसलिए अब वह ट्रंप और दुनिया के आंखों में धूल झोंकने की तैयारी में है।
भारतीय खुफिया एजेंसी का मानना है कि पाकिस्तान TRF का नाम बदल सकता है ताकि दुनिया की नजर से बच सके।पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) ने जम्मू कश्मीर से धारा-370 के खत्म होने के बाद 2019 में टीआरएफ आतंकी संगठन बनाया था। यह लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का मुखौटा संगठन है जिसे अमेरिका ने भी माना। ISI ने कश्मीर में आतंकी घटना को स्थानीय विद्रोह के रूप में दिखाने के लिए टीआरएफ बनाया। अभी तक यह वैश्विक वित्तीय निगरानी (FATE), संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका की ब्लैकलिस्टिंग से बचकर काम कर रहा था।
टीआरएफ ने जम्मू कश्मीर में कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया है। इसके काम करने का तरीका बिल्कुल लश्कर-ए-तैयबा के जैसा ही है। ये लोग भारत खिलाफ हमला करने के लिए महिला और पुरुषों को अपने संगठन में भर्ती करते हैं और उन्हें कट्टरपंथी बनाते हैं।भारत ने साल 2023 और 2024 में संयुक्त राष्ट्र की निगरानी टीम को जानकारी दी थी कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद टीआरएफ ग्रुप के जरिए कश्मीर में आतंकी घटना को अंजाम दे रहा है।
पाकिस्तान की नई चाल से भारतीय खुफिया एजेंसी पहले से ही सतर्क है।भारत डोजियर तैयार कर रहा है जो टीआरएफ और लश्कर-ए-तैयबा से नए नाम के कनेक्शन को दर्शाएगा।भारत इसे संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और FATF को सौंपेगा ताकि आतंकी संगठन का नाम बदलकर भी पाकिस्तान न बचे।भारतीय जांच एजेंसी एनआईए ने टीआरएफ प्रमुख शेख सज्जाद गुल को पहलगाम आतंकी हमले का मास्टरमाइंड करार दिया है।
अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि टीआरएफ के खिलाफ यह कार्रवाई हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा, आतंकवाद का मुकाबला करने और पहलगाम हमले में न्याय के राष्ट्रपति ट्रंप के रुख पर काम करने की प्रशासन की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।उन्होंने कहा कि टीआरएफ ने भारतीय सुरक्षा बलों के खिलाफ कई हमलों की जिम्मेदारी भी ली है, जिनमें 2024 में किया गया हमला भी शामिल है।