कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने शनिवार को पीएम मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने गाजा की स्थिति और इजराइल-ईरान सैन्य संघर्ष पर सरकार की चुप्पी पर चिंता व्यक्त की।पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सरकार ने जंग पर चुप्पी साधते हुए भारत के नैतिक और पारंपरिक रुख से दूरी बना ली हैऔर मूल्यों को भी ताक पर रख दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को बोलना चाहिए और पश्चिम एशिया में संवाद को प्रोत्साहित करने के लिए उपलब्ध हर राजनयिक माध्यम का उपयोग करना चाहिए।
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने अंग्रेजी दैनिक ‘द हिन्दू’ में लिखे एक लेख में कहा कि ईरान भारत का लंबे समय से मित्र रहा है और गहरे सभ्यतागत संबंधों से हमारे साथ जुड़ा हुआ है। इसका जम्मू-कश्मीर समेत महत्वपूर्ण मौकों पर दृढ़ समर्थन का इतिहास रहा है।1994 में ईरान ने कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारत की आलोचना करने वाले एक प्रस्ताव को रोकने में मदद की थी।कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने कहा, कि वास्तव में, इस्लामी गणतंत्र ईरान अपने पूर्ववर्ती, ईरान के उस शाही राज्य की तुलना में भारत के साथ कहीं अधिक सहयोगी रहा है, जिसका झुकाव 1965 और 1971 के युद्धों में पाकिस्तान की ओर था।
सोनिया गांधी ने अपने लेख में लिखा कि भारत ने 7 अक्टूबर, 2023 को हमास द्वारा किए गए बिल्कुल भयावह और पूरी तरह से अस्वीकार्य हमलों की स्पष्ट रूप से निंदा की थी।हम इजराइल की असंगत प्रतिक्रिया को लेकर चुप नहीं रह सकते। 55,000 से अधिक फलस्तीनी अपनी जान गंवा चुके हैं। पूरे परिवार, पड़ोस और यहां तक कि अस्पताल भी नष्ट कर दिए गए हैं।गाजा अकाल के कगार पर खड़ा है, और इसकी नागरिक आबादी को अकथनीय कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
सोनिया गांधी ने अपने लेख में लिखा कि गाजा में तबाही और अब ईरान के खिलाफ अकारण कार्रवाई पर नई दिल्ली की चुप्पी हमारी नैतिक और कूटनीतिक परंपराओं से अलग होने का द्योतक है। यह केवल आवाज का खोना नहीं, बल्कि मूल्यों को ताक पर रखना है। सोनिया गांधी ने कहा कि अभी भी देर नहीं हुई है।भारत को स्पष्ट रूप से बोलना चाहिए, जिम्मेदारी से कार्य करना चाहिए और तनाव कम करने और पश्चिम एशिया में बातचीत को बढ़ावा देने के लिए उपलब्ध हर राजनयिक माध्यम का उपयोग करना चाहिए।