आतंकवादियों को पनाह देने वाले पाकिस्तान के खिलाफ भारत को पुख्ता सबूत हाथ लग गया है। अब भारत फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की अगली बैठक में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में फिर से रखे जाने के लिए ठोस सबूतों के साथ अपना पक्ष रखेगा।मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगाने और आतंकवादियों की फंडिंग रोकने में पाकिस्तान की नाकामी के कारण भारत यह कदम उठाएगा।सरकारी सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी है।
एफएटीएफ की पूर्ण बैठक साल में तीन बार फरवरी, जून और अक्टूबर में होती है। पाकिस्तान को 2018 में एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रखा गया था।बाद में उसने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादियों की फंडिंग पर लगाम लगाने के लिए एक एक्शन प्लान पेश की थी। इसके बाद 2022 में उसे एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से हटा दिया गया था।
एफएटीएफ एक स्वतंत्र अंतर-सरकारी निकाय है, जो मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादियों को फंडिंग और सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार के वित्तपोषण से निपटने के लिए वैश्विक मानक निर्धारित करता है। यह पूछे जाने पर कि क्या भारत पाकिस्तान को दोबारा ग्रे लिस्ट में डालने के लिए वित्तीय कार्रवाई कार्य बल के समक्ष मामला रखेगा। सूत्र ने कहा कि हम इस मामले को एफएटीएफ के समक्ष उठाएंगे।
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है।उस हमले में 26 लोग मारे गए थे.l। माना जा रहा है कि पाकिस्तान अपने भू-भाग से संचालित होने वाली आतंकवादी गतिविधियों पर कार्रवाई करने में विफल रहा है और हथियार एवं गोला-बारूद खरीदने के लिए बहुपक्षीय एजेंसियों से मिले पैसों का दुरुपयोग कर रहा है।
सूत्र ने कहा कि भारत के पास इस बात के ठोस सबूत और आंकड़े हैं कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और अन्य बहुपक्षीय संस्थानों से जो कर्ज मिलता है, उसका उपयोग हथियार खरीदने और आतंकवाद को बढ़ाना देने में किया जाता है। इसको ध्यान में रखते हुए एफएटीएफ की अगली बैठक में पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रखने के लिए ठोस सबूत रखे जाएंगे।
इससे पहले, भारत ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की प्रमुख क्रिस्टलिना जॉर्जीवा के समक्ष पाकिस्तान को वित्तीय सहायता दिये जाने का मुद्दा उठाया था।यही कारण है कि पाकिस्तान को कुछ शर्तों के साथ कर्ज को मंजूरी दी गई है। सूत्र ने यह भी कहा कि विश्व बैंक समेत अन्य बहुपक्षीय संस्थानों में अगर पाकिस्तान को कर्ज देने का प्रस्ताव आता है, तो भारत उसका विरोध करेगा।