न्यूज डेस्क
संसद में गुरुवार को कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने अडानी ग्रुप से जुड़े मामले सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की मांग करते हुए नारेबाजी एवं हंगामा किया जिससे दोनों सदन एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित किया गया।
इससे पहले अडानी समूह पर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट और भारतीय शेयर बाजार पर इसके प्रभाव सहित अन्य मुद्दों पर विपक्षी दलों के हंगामे के बाद संसद के दोनों सदनों को दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया था।
गुरुवार सुबह लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके समेत विपक्षी दलों के सदस्य सदन के बीचों बीच आ गए और मामले की जांच की मांग करने लगे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदस्यों से अपनी सीट पर जाने और सदन की मर्यादा बनाए रखने की अपील की। लेकिन विरोध जारी रहा जिससे सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
राज्यसभा में भी यही स्थिति रही। कई विपक्षी सदस्यों ने एलआईसी, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा बाजार में साख खोने वाली कंपनियों में निवेश के मुद्दे पर चर्चा के लिए स्थगन का नोटिस दिया था जिसे सभापति जगदीप धनखड़ ने यह कहते हुए नामंजूर कर दिया कि ये उचित प्रकिया के तहत नहीं लाया गया है। इसके विरोध में कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, वामपंथी और अन्य विपक्षी दल के सदस्यों ने सदन में हंगामा कर दिया। सभापति ने सदस्यों से सदन में व्यवस्था बनाए रखने का आग्रह किया लेकिन हंगामा जारी रहा जिससे सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
दोपहर दो बजे बैठक फिर शुरू होने पर सभापति धनखड़ ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पेश करने और उस पर चर्चा कराने के लिए कहा। किंतु विपक्षी सदस्यों ने नियम 267 के तहत सदन में चर्चा कराने की मांग शुरू कर दी। सदन में हंगामा शुरू होने के कारण सभापति ने दोपहर दो बजकर तीन मिनट पर बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया। विपक्ष अडानी प्रकरण में आम लोगों तथा एलआईसी एवं एसबीआई के हितों को ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने या सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से जांच कराये जाने की मांग कर रहा है।