केंद्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का ऐलान कर दिया है।बुधवार 30 अप्रैल को कैबिनेट की बैठक के बाद इसकी जानकारी दी गई। केंद्र सरकार के इस निर्णय से विपक्ष को बड़ा झटका लगा है। क्योंकि राहुल गांधी इस मुद्दे को मिशन मोड की तरह उठाते रहे हैं।दूसरी ओर केंद्र सरकार ने ऐसे समय में इसका ऐलान किया है जब बिहार में इसी साल यानि 2025 में विधानसभा का चुनाव होना है। ऐसे में समझिए कि सरकार के इस निर्णय से बिहार विधानसभा चुनाव में क्या कुछ असर हो सकता है।
केंद्र सरकार ने पूरे देश में जातीय जनगणना कराने का ऐलान कर विपक्ष को मुद्दा विहीन करने का एक बड़ा प्रयास किया है।बिहार में जाती का मुद्दा बड़ा चुनावी मुद्दा बनता है।विपक्ष आगामी विधान सभा चुनाव में इस मुद्दे के सहारे NDA के लिए परेशानी कर सकता था,लेकिन PM मोदी ने जाती जनगणना कराने की अधिसूचना जारी कर विपक्ष के हाथों से एक बड़ा चुनावी मुद्दा छीन लिया। अब बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के लिए जाति जनगणना का यह बड़ा कांटा भी साफ हो गया है।
कुल मिलाकर इसका सीधा-सीधा फायदा एनडीए को होने वाला है,क्योंकि निश्चित तौर पर मांगने वाले से ज्यादा देने वाले को लोग पसंद करते हैं। विपक्ष चुनाव में जाकर यह बात जरूर कहेगा कि हमने मांग की तो पूरी हुई, लेकिन बीजेपी और जेडीयू के नेता जब इसी बात को अपनी चुनावी सभा में कहेंगे कि हमने ही जाति जनगणना शुरू कराने काम किया है, तो इसका फायदा सीधे तौर पर एनडीए को होगा।
केंद्र सरकार की जाति जनगणना करने की अधिघोषणा के बाद NDA और इंडिया अलायंस दोनों ही गठबंधन इस निर्णय को देशहित के लिए अच्छा बताते हुए इसे अपने पक्ष में करने में जुट गया है।विपक्ष पिछले पांच सालों से इसे बड़ा मुद्दा बनाए हुए था।राहुल गांधी पूरे देश में घूम-घूमकर जातीय जनगणना करवाने की मांग कर केंद्र सरकार को घेर रहे थे।अब केंद्र सरकार के इस ऐलान से बिहार विधानसभा चुनाव में सीधा फायदा नीतीश कुमार सहित एनडीए भी उठाने जुट गया है।ये इसके लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद देकर जनता का ध्यान इस तरफ खींचना चाहते हैं ताकि आगामी विधान सभा चुनाव में इसका लाभ उठाया जा सके।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में जातीय सर्वे कराया था।नीतीश कुमार बीजेपी के साथ थे तो उसी वक्त बैठक करके यह निर्णय लिया गया था। हालांकि कुछ दिनों बाद नीतीश कुमार महागठबंधन में शामिल हो गए थे और उसी सरकार में जातीय सर्वे कराया गया था। तेजस्वी यादव भी इसका क्रेडिट लेते रहे हैं।
बिहार सरकार ने जो जातीय सर्वे कराया है ,उस रिपोर्ट के अनुसार, अति पिछड़ा वर्ग 27.12 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 19.65 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति 1.68 प्रतिशत और अनारक्षित यानी सवर्ण 15.52 प्रतिशत हैं। वहीं धार्मिक आधार पर देखें तो बिहार में हिंदुओं की कुल आबादी 81.9 फीसद है जबकि मुसलमानों की आबादी 17.7 फीसद है।वहीं ईसाई की 0.05, बौद्ध की 0.08 और जैन की 0.009 फीसद आबादी है।किसी धर्म को नहीं मानने वालों की संख्या 2146 है।
अब देखना होगा कि केंद्र सरकार की ओर से कराई जा रही जातीय गणना और बिहार सरकार के जातीय सर्वे में क्या कुछ फर्क निकलकर आता है. क्योंकि जातीय सर्वे का मामला कोर्ट भी गया था और कई सवाल भी खड़े किए गए थे कि इसमें धांधली की गई है.